@श्री राजेंद्र जयंत पाठशाला में प्रतिदिन ७०-८० बच्चे जैन धर्म के विभिन्न नियम , सूत्र आदि कर रहे हे याद @वर्ष २००४ में पुण्य सम्राट पूज्य आचार्य जयंतसेन सूरीश्वरजी मसा की प्रेरणा से प्रारम्भ हुई थी पाठशाला ।प्रभावना भी प्रतिदिन की जा रही हे । =========================

पाठशाला संचालक सुश्रावक संजय मेहता ने बताया की पाठशाला १ मई से प्रारंभ हुई जो लगातार ४५ दिवस तक प्रतिदिन चलेगी । श्री संजय मेहता सहित जयेश संघवी,श्रीमती कविता मेहता एव रचित कटारिया ,श्रीमती सोनू पगारिया धार्मिक शिक्षक के रूप में एव सुचारू व्यवस्था में हार्दिक कोठारी ,संदीप सकलेचा , हेमेंद्र संघवी ,व उल्लास जैन का विशेष सहयोग मिल रहा हे ।पाठशाला प्रतिदिन सुबह ८/३० बजे प्रार्थना के साथ शुरू होती है। इसके पश्चात बच्चों को उनकी उम्र के हिसाब से वर्गीकृत कर जैन धर्म के सिद्धांत को सरल भाषा में समझाया जाता हे । साथ ही ५से १५ वर्ष के बच्चों को सामयिक ,ध्यान मुद्रा , प्रभु पूजन करने की विधि, प्रतिक्रमण सूत्र याद कैसे करे , क्रिया करते समय उपकरण का उपयोग कैसे करे आदि को बच्चों को सिखाया जा रहा हे। इसी प्रकार पाठशाला इन सभी बच्चों को विभिन्न “जैन धर्म “पर स्पीच देना , चित्रकला ,गहुली प्रतियोगिता आदि गतिविधियो के माध्यम से उनके जीवन को संस्कारित करने का प्रयास प्रतिदिन किया जाता है ।प्रतिदिन इन बच्चों को अभिभावको की और से प्रभावना भी वितरित की जा रही हे ।श्री मेहता ने बताया की पाठशाला प्रारंभ होने के पश्चात प्रतिदिन प्रतिक्रमण करने 35 बालक वर्ग में* युग रूनवाल, विधान पगारिया, स्पर्श रूनवाल, सुहर्ष जैन , रियांश रूनवाल , मोक्ष कटारिया, ग्रंथ बाबेल , चेत्य सकलेचा , प्रखर जैन , दर्श राठौर, पर्व रूनवाल, नयांश कटारिया, विरम कोठारी हितांशु नाहर, तीर्थम जैन, मोक्षित जैन, हित जैन, रित जैन एव बालिका वर्ग में* गाथा सकलेचा, चाहत रूनवाल, चहेती पगारिया, मोक्षा सकलेचा, जेनिका राठौर , आर्या पगारिया, सुहानी रूनवाल, उर्वी जैन, परी रूनवाल, वंशीका रूनवाल, विहाना जैन, खनक संघवी, शिवांगी जैन, लब्धी जैन, दृश्या कांठी, गर्वी जैन, अविशी जैन को पुरस्कृत किया गया । फोटो -पुरस्कृत बच्चे ॥