झाबुआ

*जिस बायोग्राफ़ी फ़िल्म को                          देख कर, मिले डॉ रामशंकर चंचल के, प्रशंसक, का एक यादगार लम्हा*

मध्य प्रदेश के महान साहित्य साधक
डॉ रामशंकर चंचल की
अद्भुत सादगी सरलता और अपनापन देखे, आज उन्हें तलाश करता हुआ, युवा पी एच डी, कर रहे, छात्र, अमित जी, ने उन्हें, धुमते हुए देखा, वही उनके साथ
बैठे बात कर सुख और सुकूंन, पाते हुए, अमित जी के लिए, अद्भुत पल ये रहे कि, जिस बायोग्राफी फ़िल्म डॉ रामशंकर चंचल की, आज से ६ साल पहले बनी हुई थी, जो टी शर्ट पहने हुए उन्होंने, आनेवाले कल के लिए, बहुत कुछ सवालों के जवाब, निर्माता
विनय वर्मा को दिये, उसी टी शर्ट पहने, ६ साल बाद
अमित जी, उन से, मिले तो, चौक गये, सर जी, यह वही टी शर्ट है जो आपने, पहन रखी है, डॉ चंचल, ने मुस्काते हुए कहाँ, पांच साल बाद फिर मिलेंगे तो भी इसी टी शर्ट में आप मुझे यहाँ पायेंगे, मुझे सालों हो गये नये कपड़े खरीदी
कहीं जाना होता है, वैसे तो बहुत बहुत ही कम हाँ करता हूँ फिर भी जाना हुआ तो बच्चों के नये, या बड़े भाई से कोई टी शर्ट ले लेता हूं बस इतना बहुत है जिसने बुलाया उनका सम्मान रखने के लिए, ओर फिर यह रंग मेरा बहुत बहुत ही प्रिय है, इसे पहन सुख और सुकूंन महसूस करता हूँ,

कमाल का व्यतित्व जो रोज नये टी शर्ट पहन निकल सकता हैं , किसी बात की कोई कमी नहीं
पर, पहना, खाना, सब कुछ जीने के लिए बस इतना बहुत है, बाकी सब तो आपके कर्म करने से मिलता है सुख भी आनन्द भी, यही वजह है कि, सब कुछ खो कर भी सदा ही
मुस्कान लिय, बिंदास जीते
डॉ चंचल आज भी सेकडों युवा पीढ़ी के प्रेरणा स्त्रोत है और उम्र के ६७ साल में भी उतने ही खूब सूरत लगते , बल्कि, जब उन से पूछा जाता है कि सर जी, आप इस उम्र में भी कमाल की ऊर्जा लिए है आपको देख कोई नहीं कह सकता हैं कि
आपकी उम्र इतनी है, वजह क्या है, फिर मुस्कान लिए
तुम जैसे सेकडों युवा वर्ग मुझे बहुत बहुत प्यार करते हैं बस, उनके साथ रहना है उन्हें कुछ देना है तो उनके जैसा रहना होगा, बिंदास
तभी तो वो सुनेंगे, कहते हुए, हल्की सी मुस्कान के साथ, चल दिये, उनका समय हो गया था, घर जाने का, कई किरदार निभाने होते है, पिता, दादा, माँ, आदि आदि

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