झाबुआ

माँ के नव रूप की महिमा

नव रूप माँ के मनोहारी
रूप की महिमा न्यारी

प्रथम दिवस श्वेत
रूप धारी
“शैल पुत्री “बन करे वृषभ
सवारी

दुजे दिन मां “ब्रह्मचारिणी”
सौहे
सदाचार संयम सदा मन
मोहे ‘

“चंद्रघटा ” माँ सब पाप
निवारे
भक्त जनो के सब काज
सवारे

चोथै दिन यश आयु
बढ़ावें
माँ “कुष्माडा “सब सिद्धि
अपावें

मोक्ष द्वार खोले”
” स्कन्दमाता “

पंचम रूप सदा सबको
सुहाता

” कत्स्यनी” पुत्री बन सबको
तारा
कत्स्यनी माँ का करो जयकारा

सप्तम “कालरात्रि” का
अवतार

चामुंडा बन करें चंड मुंड
संहार

चक्र त्रिशूल धर महिसासुर
धाती

“महागौरी “माँ सिंह पर
सुहाती
नवमां “सिद्धदात्री “का
स्वरूप

नव दिवस धरे माँ मंगल
रूप

नवरात मै नव दर्शन सुखकार

अदभुत अलौकिक माँ का
दरबार यशवंत भंडारी यश झाबुआ मप्र

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