आलेख”””
क्या आज भी रिश्ते जीवंत है””””
पति पत्नी पर वैचारिक लेख “
पति पत्नी का रिश्ता, बडे परिवार मे समझौता तो छोटे परिवार मे विषाद का कारण बन जाता है, सदियों से उन्हे, बहुत सारी संज्ञा से नवाजा गया”””पर हकीकत इसके उलट है””कही पत्नी ज्यादती का शिकार तो कही पति “” आखिर कैसे”एक प्रश्नचिन्ह हमेशा से घडी की सुई सा चलता है “”सदियों से दोहराई जाने वाली बाते,,पति पत्नी गाडी के दो पहियों के समान है”” परन्तु वर्तमान की गडियां दो पहियों पर नही चलती””मान लो”वर्तमान के भावी पहिऐ,सगे सम्बंधी है तो””सौ प्रतिशत वो गाडी को तहस नहस कर देगें””अब सोचों जिनके खुद के गृह मे क्लेश है,वो गाडी चलाने मे मदद कैसे कर सकते है””
चलो वापस आते है,यदि बच्चे है तो उनके विचार अलग है,पति फिर तो पत्नी पर दबाब बना ही लेगा””इस मामले मे पत्नियां भी पीछे कहां””है””अब बात आती है,संम्बधो को सहेजने की,यदि पत्नी सुशील है तो ,सम्भालने की पूरी कोशिश करेगी”पर कब तक,मोबाइल का जमाना है कुछ बातें अच्छी है तो कुछ बुरी भी है,अधिकतर पति उसी मे लगे रहते है,,कुछ दिन पत्नियां उम्मीद से रास्ता देखती फिर वो भी उसी मार्ग पर व्यस्त हो जाती,अचानक एक दिन पति मे परिवर्तन होता है, जब कही पत्नी को व्यस्त पाते हैफिर शुरू होती है ,तू तू मै मै””क्योकि पति महाशय को पता होता है, की पत्नी क्या और किससे बात कर रही है,,क्योकि पति भी अभी तक पराईस्त्री से बात कर रहे है,पत्नी का पहला झूठ वही से शुरू होता है “””
वो गलत नही होती”पर त्रासदी से बचने के लिऐ, एक सरल उपाय अपनाती है,,क्योकि वो सीख उसे अधिकतर पति से ही मिलती”
पति रूपी पुरूष जिन स्त्रियों को ,अपना दुख साझा करते है ,वो खुद दुखी होती है”उन्ही की तरह किसी अन्य पुरूष के बर्ताव से,,घर मे पत्नी को समय न देकर अपना समय किसी और पर खर्च करना, कहा तक सही है””विषवेल बो देने के बाद ,शुरू होती है,संस्कारों के नाम की दुहाई, ,फिर बातों ,और अपशब्दो का सिलसिला, कब संस्कार धराशायी हो जाते है पता ही नही चलता, ,और घर मे फैलती है खामोशी, मन मे पडती है गांठ, जो बढती जाती है, ,बिना वजह का संघर्ष फिर पछतावा”
अंत अलगाव ,या घुटन भर जीवन””दोष एक का नही होता “
पति आज भी पुरूष है,उनमे पुरूषत्व का अंहकार है,नयी पीढी के बाद भी पत्नी आज भी पत्नी ही है,,सिर्फ परिधान बदल लेने से मानसिकता नही बदल जाती,पति पत्नी के रिश्तो मे संमजस्य होना जरूरी है, पति की गलती को ,संवार लेना पत्नी का कार्य है,तो पत्नी की गलती को सम्भलना पति का उत्तरदायित्व है !
तभी होगा सही मायने का गहरा सम्बंध, एक दूसरे पर हमेशा कीचड उछालना, सिर्फ खुद को सबित करना ,आपको खुशी दे सकता है,पर खुशी की उम्र बहुत छोटी होती है,यदि पत्नी से गलती हो जाती है तो,वो आपका अंश है,उसे चोट पहुंचाकर आपको खुशी तो मिलेगी नही,,,वो भी आपकी तरह दर्द संहती है,भगवान का अंश है भगवान नही,उसी तरह पति भी इंसान है,जब जागो तब सवेरा “”एक दूसरे की ,बुराई यदि नजर अंदाज करके आगे बढों,तो बीच में, किसी और पहिऐ की अवश्यकत नही पडेगी,और आप जीवन का सफर आसानी से तय कर लोगें”””
रीमा महेंद्र ठाकुर वरिष्ठ लेखक
(साहित्य संपादक )
राणापुर झाबुआ मध्यप्रदेश भारत
