*डॉ रामशंकर चंचल की कृति, रूप नहीं रूह है, एक रूह प्रेम की अद्भुत, कालजयी कृति, डॉ अंजना*

झाबुआ, नि प्र, उषा राज अकादमी के बैनर तले दिनांक, १८ की शाम आठ बजे, गोपाल कालोनी, माँ सरस्वती भवन में, डॉ रामशंकर चंचल की ताजा कृति, रूप नहीं रूह है यह
का, विमोचन, मुख्य अतिथि, झाबुआ, चन्द शेखर आजाद महाविधलय की, हिन्दी विभाग अध्यक्ष
डॉ, अंजना मुवेल, गेल के हिन्दी भाषा के अधिकारी, आजाद महा विधालय के हिन्दी के प्रो डॉ,लोहारसिंह ब्रहमे, ख्यात मंच कवि, भेरूसिह चौहान, श्री रामप्रसाद त्रिवेदी कालेज के हिन्दी भाषा के प्राध्यापक मुकेश बधेल, के कर कमलों से सम्पन्न हुआ
सर्वप्रथम, मां सरस्वती की पूजा, अर्चना की गई सभी अतिथि द्वारा, फिर, भेरूसिंहचौहान के सफल संचालन में, रूह नहीं रूह है कृति का, डॉ चंचल ने परिचय दिया, इसी अवसर पर, मुख्य अतिथि डॉ अंजना मुवेल ने कृति पर, मुल्यवान विचार रखते हुए कहा कि, गर्व है डॉ चंचल की ताजा, रूह प्रेम की कृति पर, जो प्रेम के पवित्र पावन रूप को सामने रखते हुए, बहुत ही सहज सरल भाषा में, बात करती सजीव और जीवन्त कविता के साथ, सामने आई है और एक कालजयी कृति के रूप से सदा ही स्मरण की जायेगी, इसमे कोई दो मत नहीं है, डॉ चंचल को बधाई देते हुए आगे भी और उन से अनेक अपेक्षा है कि, हिन्दी साहित्य को, अपनी कृतियों से सम्पन्न करे, इसी अवसर पर, डॉ, लोहार सिह, गेल अधिकारी, आदर्श कालेज के, मुकेश बधेल ,ख्यात कवि, भेरूसिंह चौहान ने भी कृति की सभी ने सरहाना करते हुए, उसे साहित्य की मूल्यवान, सार्थक, और अस्मर्णीय कृति साबित किया, इसी अवसर पर कुछ उम्दा कविताओं का रचना पाठ भी आमंत्रित अतिथि द्वारा किया गया
संचालन किया, श्री भेरूसिंह चौहान ने, अंत में अकादमी के प्रमुख श्री भावेश त्रिवेदी ने सभी का आभार व्यक्त किया