झाबुआ

आखिर गाँधी याद आयास्वच्छता ही सेवा

अच्छा लगता हैं, जिस राम भक्त गाँधी को, सादगी की विश्व प्रख्यात, देश की अद्भुत छवि को, भूल गए थे, आज उसे याद किया जा रहा है, देर आये, दुस्त आये, यह सब कुछ बहुत पहले हो जाता, देश सचमुच, सेकडों महान हस्तियों से भरा हुआ है यूँ ही नहीं भारत की छवि, विश्व में चर्चित है, बड़ा बनाना है तो, बड़ों का आदर करते हुए सम्मान करना, आदर करना चाहिए
तभी, आप भी जीवन को सार्थक कर सकते है, सदा ही यह मान कर चले, हम कुछ नहीं है, तभी कुछ अच्छा सोच सकते है, कर सकते है, मैं, ही सब से खराब और पतन का कारक है , क्यों नहीं समझती यह दुनिया, मैं
होता ही नहीं, जब हम ईश्वर को, मानते है , प्रभु श्रीराम का देश मानते है तो, मैं कहाँ से आया, सब कुछ वो है, यह अद्भुत सत्य है, जिसने यह स्वीकार किया, मन से, आस्था से, पूरे विश्वास से, वही कुछ कर पाया है जीवन में, सदा ही मानव मात्र का आदर करते हुए, जीवन व्यतीत करते हुए, कर्मशील रहना चाहिए
अच्छा लगा, आज, देश ने
ईश्वर, अल्ला तेरों नाम, सब को सद बुद्धि दे भगवान्, जैसे बेहद सत्य, सार्थक, मंत्र के महान संत गाँधी को याद करते हुए, स्वच्छता अभियान को चलाया जा रहा है, सभी देशवासियों को देखा जा रहा है, पूरी निष्ठा से, अमल करते हुए
यह इस बात का प्रतीक भी है कि, लोग गाँधी को नहीं भूले, यह भी परम् सत्य है, सत्य, सत्य है, जिसे आज नहीं तो कल, आपको, स्वीकारना होगा, बेहतर यह है कि, जितनी जल्दी उसे, स्वीकार ले, सभी का भला है, केवल एक है, जो हर व्यक्ति के जीवन में, बहुत ही खराब होता है, वह है, अहम्, मैं, ही सब कुछ हूँ, का, व्यर्थ प्रलाप, जिसने उसका पतन कर रखा है
मेरी बात, सत्य है, एकदम सटीक जानता हूँ, फिर भी इसे पड़ कर, आज भी सब कुछ सही है जानते हुए भी
अधिकांश लोग इसे,स्वीकार तो करेगे, पूरी तरह, पर, फिर भी जतायेगें
नहीं, यही तो वो, मैं का, अहम् भूमिका है, जिसका, हमें अंत करना है, दिल से दिमाग से, तभी हाँ तभी अपना, देश का, सभी देशवासियों का, सुखद, भविष्य होगा, मुझ जैसा छोटा सा, गाँव का, छोटा , मोटा, कुछ लिखने वाला, बड़ी बड़ी बात करने लगा, अक्सर लोग यह सोच रहे होंगे, यह भी जानता हूँ, फिर भी, लिख रहा हूँ, मैं नहीं चाहता, मुझे कुछ माने
मैं तो चाहता हूँ, बात सही लगे तो अवश्य ही जीवन में उतारे, और सुख चैन से जीयें, सभी देशवासियों का, मानव मात्र का भला सोचते हुए, हर व्यक्ति के भीतर वही,ईश्वर है जो, आपके भीतर है, सेकडों बार, यह बात कर गया, आज भी यही कहता हूँ
मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है, न हो सकता है
जय भारत, जय हिंद

डॉ रामशंकर चंचल
झाबुआ मध्य प्रदेश

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