“ 🙏🙏मनुष्य जीवन केवल धर्म आराधना के लिए ही प्राप्त हुआ हे किंतु मनुष्य धर्म आराधना का फल तो चाहता हे किंतु धर्म करना नहीं चाहता हे । मनुष्य जन्म और जैन धर्म की प्राप्ति के लिए देवता भी तरसते हे लेकिन हमे मनुष्य जीवन और जैन धर्म मिलने के बावजूद भी जीवन में ज़्यादा महत्व नहीं दे रहे हे “ उपरोक्त प्रेरक उद्बोधन आज झाबुआ के ऋषभदेव बावन जिनालय के राजेन्द्र सूरी पोशधशाला के प्रवचन कक्ष में पूज्य मुनिराज श्री चन्द्रेशविजयजी मसा ने आज गुरुवार को धर्म सभा में दिए ।उन्होंने कहाँ की प्रभु वाणी श्रवण कर समझना और उसे अपने आचरण में उतारने का लाभ चार गति में केवल मनुष्य गति में ही प्राप्त होता हे ।भयंकर नरक गति में अंधकार व्याप्त हे जहाँ दुख ही दुख हे, तिर्यंच गति में प्रभु वाणी श्रवण कर सकते हे किंतु समझ नहीं सकते हे और देव गति में मानसिक संताप होने से यह लाभ प्राप्त नहीं होता हे । आपने कहाँ की हमे हमारे जीवन को छोटे पोधो जैसा बनाना चाहिए न की बड़े वृक्षों के समान क्योकि जब आंधी तूफान आते तो छोटे वृक्ष झुक जाते हे और वही खड़े रहते हे जबकि बड़े वृक्ष गिर जाते हे ।आपने कहाँ की मानव हमेशा इस जगत को सुखी समझता हे जबकि वास्तविक सुख तो हमारे जैसे चारित्र जीवन को ग्रहण करने में जिसे प्राप्त कर ही जन्म और मरण के इस पुनरावृति की घटना को समाप्त किया जा सकता अन्यथा मानव जीवन जो की परिवर्तन के लिए मिला हे पुनरावृति की भेंट ही चढ़ेगा जिसमे केवल जन्म और मरण के अलावा कुछ भी नहीं प्राप्त होगा ।धर्म सभा के पूर्व आज झाबुआ में सुबह पूज्य मुनिराज चंद्रेश विजय जी और मुनिराज जिनभद्र विजयजी का महावीर बाग पर सुबह मेघनगर से विहार कर आगमन हुआ । यहाँ ट्रस्ट मंडल ने पूज्य मुनिद्वय की अगवानी की । नाइन स्टार ग्रुप द्वारा नवकारसी का आयोजन हुआ । यहाँ से मुनिद्वय शोभा यात्रा के रूप में शहर के विभिन्न मार्गो से होते हुए श्री ऋषभदेव बावन जिनालय पुहुचे । यहाँ प्रभु ऋषभदेव जिनालय में दर्शन वंदन किए । पूज्य मुनिराज ने बताया कि शुक्रवार को झाबुआ ही स्थिरता रहेगी और पश्चात संभवतह मोहनखेड़ा हेतु विहार होगा । जहाँ से दक्षिण भारत की और विहार करेंगे ।💐💐🙏🙏








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🙏🙏Rinku runwal 💐💐
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