❤️🌼❤️तु अमरित कुम्भ की गागर
तुझमें वात्सलय भरा जी भर
तु सबसे अनमोल धरोहर
तुझ सम दूजा नहीं कोई!!🌼❤️🌼❤️🌼


तु अमरित कुम्भ की गागर
तुझमें वात्सलय भरा जी भर
तु सबसे अनमोल धरोहर
तुझ सम दूजा नहीं कोई!!
नव माह तक गर्भ में पालकर
अपने सारे सुखों को तजकर
अपने लहुँ से खुद ने रचकर
मेरे जनम की आस को लेकर
सहती इतनी पीड़ा नही कोई
तुझ सम दूजा नहीं कोई!!
ममता के प्यारे आँचल से
अपना दूध दिया मेरे मुँह में
खुद भूखी प्यासी रहकर भी
दिया निवाला मेरे मुँह में
दूसरा ऐसा कर सकती नहीं
कोई
तुझ सम दूजा नहीं कोई!!
बिछोना हो जाता था गिला
मुझको सूखे में सुलाकर
मेरी परवरिश में तूने बितायी
कितनी ही रातें जागकर
तेरे सिवा गिले में सो सकती
नहीं कोई
तुझ सम दूजा नहीं कोई!!
माँ,कैसे भूले तेरा उपकार
तेरे कारण ही मेरा अवतार
तेरी गोद में बैठकर लगता है
सबसे सुन्दर यह संसार
तेरी बराबरी कर सकता जग
में नहीं कोई
तुझ सम दूजा नहीं कोई!!
यशवंत भंडारी यश
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