❣️❤️कविता दिवस पर विशेष रूप से
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कविता लिखना आसन नहीं है
प्रसव पीड़ा सी दर्द समेटे, जन्म लेती हैं ❣️❤️🌼

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कविता लिखना, आसन नहीं है, अक्सर लोग पर्व, तिथि, आदि आदि पर कविता लिखते है जो बहुत कुछ तो लिखा हुआ इतिहास होता हैं उसमें जो लिखा जा चुका है पड़ा जा चुका है और फिर यह एक पद लिखन है पत्रकार गद्य में लिखते हैं और हम पद में बस वाह वाह वाह वाह बात है , के साथ खत्म हो जाती हैं वहीं पर भूल जाते हैं सभी
वाह वाह तकसमित लेखन का नाम कविता नहीं है
कविता रात सोने नहीं देती हैं कई बार कितनी रात गुजर जाती है तब जाकर एक अद्भुत कविता जन्म लेती है जो पाठकों को मन और दिमाग को छु कर स्थाई रूप से विराजमान हो जाती हैं 🌼❤️
मज़ाक नहीं है कविता लिखना कितनी पीड़ा दर्द लिए होती हैं
वह कविता है, यूं ही जब मन हुआ कविता लिख भेजे देना शौक होता होगा और नाम यश धन प्रसिद्धि की भूख शांत कराती होगी पर एक कविता भी लिखना बहुत ही मुश्किल कार्य होता हैं 🌼❤️
सच तो यह कि यह केवल ईश्वर कृपा होती है जो हर कोई को कहां नसीब होती हैं वह व्यक्ति ईश्वर के बहुत निकट होता हैं, संवेदना भावना समेटे कर्मशील सत् साधक होता हैं
जो आज सम्पूर्ण विश्व पटल पर बहुत ही कम दिखाई देते हैं जो है उनके लोग दीवाने होते है बार बार पढ़ना ओर सुनना चाहते हैं
धन्य हैं वो सभी जीवन जिन्हें ईश्वर कृपा से यह वरदान मिला है और वह उसे सार्थक कर जीवन सार्थक कर जाते हैं
प्रणाम करता हूं कविता को सत् सत् प्रणाम करता हूं जिसने कितनो को जीना सिखा दिया ❣️🌼
डॉ रामशंकर चंचल
झाबुआ मध्य प्रदेश
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