
“मन के विचार “
मन के विचारों का
मस्तिष्क की तरंगों से
मनोभावो की उमंगो से
मनचाही सफलता का
होता सृजन मतिभ्रम के अज्ञान का मालिन्य के जंजाल में मनोस्थिति के भ्रमजाल को मर्दन करने का करो चिंतन मनचाही सफलता का होता सृजन
मानस की पहल पर
मंदिर के पटल पर
मनन चिंतन के बल पर
मानवीय गुणों का होता सृजन
मनचाही सफलता का
होता सृजन
मानवी (स्त्री) के संग से
मंगल मणि के स्पर्श से
मंगलमय विचार विमर्श से
मनोविकृति का करो विसर्जन,
मनचाही सफलता का
होता सृजन
मंगल कार्य को सदा
मंगल पाठ से सर्वदा
मंगल कलश से सजा
मंगल द्वार से करो आगमन
मनचाही सफलता
का होता सृजन
यशवंत भंडारी “यश “