झाबुआ

झाबुआ। प्रदेश की भाजपा सरकार का दावा है कि उसने अपने कार्यकाल में मनरेगा के तहत जितने भी काम किये और जितने भी ग्रामीणों को रोजगार दिया उतना आज तक प्रदेश की किसी भी पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में नहीं हुआ, लेकिन दुसरी सच्चाई यह भी है कि झाबुआ जिला मुख्यालय से कुछ दुरी पर स्थित एक गांव में ग्रामीण यांत्रिकी विभाग द्वारा निस्तार तालाब का निर्माण कराया गया, लेकिन वहा कार्य में लगे लोगों को अपनी मेहनत की कमाई को हासिल करने के लिए या यू कहे मनरेगा मजदूर अपनी मजदुरी का भुगतान प्राप्त करने के लिए किसके पास जाय यह उन्हें समझ ही नही आ रहा है और वे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं, क्योंकि इनके मेहनत का पैसा उन्हंे आज तक नही मिला। निस्तार तालाब के निर्माण में गांव के मजदूरों ने अपना खून पसीना बहाया, 9-9 घंटे काम किया बावजूद उसकी मेहनत का पैसा अभी तक इन्हें नहीं मिला, जबकि उनसे उनके जॉब कार्ड लिए गए थे। मजदूरों का बैंक खाते खाली है, वही जिम्मेदार कहते हैं मनरेगा के तहत जो काम हुआ उसका पैसा तो निकल चुका है तो आखिर वो पैसा गया कहां… यही इन मजदूरों का सवाल है ?
मजदूरों को नही मिली मजदूरी
झाबुआ विखं की ग्रापं फुलधावडी के अंतर्गत आने वाले ग्राम महुडी डुंगरी के अलवा वाला नाला में निस्तार तालाब निर्माण कार्य आधा अधूरा व घटिया स्तर का हुआ है। जिसे एक वर्ष से भी अधिक का समय होने के बाद भी मजदूरों को उनकी मजदूरी का भुगतान अभी प्राप्त नही हुआ है। निस्तार तालाब निर्माण में दो दर्जन से अधिक आदिवासी महिला, पुरूष मजदूरी का भुगतान प्राप्त करने की मांग को लेकर भटक रहे है। बताया जाता है कि वर्ष 2023-24 मंें ग्राम महुडी डुगरी स्थित अलवा वाला नाला में निस्तार तालाब स्वीकृत हुआ था, जिसकी लागत 81 लाख 39 हजार की प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हुई थी, जिसमें से 76 लाख 24 हजार 991 रूपये विभाग द्वारा खर्च करना विभागीय पोर्टल पर बताया जा रहा है, जबकी गांव के लोग जो निस्तार तालाब में मजदूरी की उनको आधा अधूरा भुगतान किया गया, लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि वहा काम करने वाले दो दर्जन से अधिक मजदूर आज भी मजदूरी मिलने का इंतजार कर रहे है।
जाब कार्ड लिए, नही आई मजदूरी
निस्तार तलाब के निकट रहने वाले नुरजी बुचा मेडा ने पत्रकारों को बताया कि निस्तार तालाब निर्माण में गांव व आस पास के दो दर्जन से अधिक लोगो ने तीन माह से अधिक समय तक काम किया, लेकिन काम में लगे एक्का-दुक्का मजदुरों की ही मजदुरी वह भी 1 हजार से 1200 रूपये के करीब आई है। काम में लगे सभी मजदूरों के जाब कार्ड ले लिए थे, उन्हें उम्मीद थी कि उनकी मेहनत का पैसा उनके खाते में आ जायेगा, लेकिन आज तक उनके खाते में कोई राशि नही आई। गांव के लोगों में जागरूकता का आभाव है इसलिए वे अभी तक किसी को शिकायत भी नही कर पाये और यही वजह है कि उनको उनकी मेहनत की मजदूरी नही दी गई।
ग्रामवासियों ने तालाब को फूटने से बचाया
ग्राम के लोगों ने बताया की निस्तार तालाब का निर्माण कार्य घटिया स्तर का हुआ है। पाल पर जितनी मिट्टी डालना थी, उससे कम मिट्टी डाली गई। साईड के एक और बोल्डर टू बनाना थी वह भी नही बनाई गई तथा दुसरी और पीचिंग का कार्य करना था वह भी आधा अधूरा कर छोड दिया गया। नवरात्री के दौरान तालाब में पानी की अधिक आवक होने से तालाब पर दबाव बनता गया इसके कारण बीच की पाल में जगह जगह मोटी दरारे होने से ग्रामवासी घबरा गये और तालाब को बचाने के लिए खोदे गये वेस्टीयर को नीचे उतार दिया, जिससे तालाब फूटते फूटते बचा। यहां तालाब का निर्माण कार्य मापदंड के अनुरूप नही किया गया। वही साईड पर निर्माण कार्य का बोर्ड तक अंकित नही है, जबकी डेढ वर्ष से तालाब का निर्माण कार्य चल रहा है। ग्रामीणों ने बताया तालाब का निर्माण अघोषित ठेकेदार द्वारा ताबडतोब जेसीबी मशीन, हिटायची, टेक्टर आदि से करवाया गया है। ग्राम के लोगों को जितनी काम मिलना था उतना काम मजूदरों को ना देते हुए मशीनों को दिया गया।
जमीन के मुआवजे की भी कही थी बात
ग्राम के नुरजी मेडा ने बताया कि तालाब निर्माण में दो लोगों की जमीन भी आई है, उस दौरान यहां काम कराने वाले जिम्मेदारों ने कहा था कि आपकी जमीन का मुआवजा भी हम दिलायेगे, लेकिन आज तक ना तो काम करने वाले मजदुरों को मजदुरी मिली और ना ही तालाब निर्माण में जमीन जाने वालों मालिकों को मुआवजा दिया गया। वही तालाब निर्माण के दौरान कुएं से मोटर द्वारा पानी दिए जाने वाले को भी उसका भुगतान नही किया गया।
हादसा होने की आशंका
निस्तार तालाब के बीच में एलटीटी की विद्युत लाईन निकली हुई है। जिसके तार तालाब के पानी से कुछ ही उपर झुल रहे है। यदी हवा चलने के दौरान विद्युत पोल झुकता है, तो विद्युत लाईन तालाब में गिर सकती है, जिससे बडी जनहानि होने की आशंका बनी हुई है। यदी कोई घटना घटित होती है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ? दुसरी और ग्रामीणों का कहना है कि तालाब निर्माण के पूर्व कहा गया था कि विद्युत लाईन को हटा दिया जायेगा, लेकिन इस दिशा में जिम्मेदारों नें कोई ध्यान नही दिया, जिसके चलते हर पल वहा खतरा मंडरा रहा है।
इनकों है मजदुरी का इंतजार
निस्तार तालाब को देखने पहुंचे पत्रकारों को ग्रामीणों ने बताया कि उन्होने तालाब निर्माण में मजदुरी की थी, उनके जाब कार्ड भी लिए गए थे, लेकिन उनके खातों में पैसा नही आया। तालाब निर्माण कार्य में लगे रामा पिता घोबिल मेडा, अंद्रु पिता पिंजु मेडा, पिदिया पिता कच्चा मेडा, जामसिंह पिता कच्चा मेडा, रामा पिता कच्चा मेडा, भारसिंह पिता रतना भूरिया, रूपा रतना भूरिया, नूरी रतना भूरिया, मंगा खोविल भूरिया, सजन पिंजू मेडा, शामा पिंजू मेडा, रतना दल्ला वसुनिया, शांतिया केकडिया मेडा, दिवान नानसिंह अमलियार, अमरू छितरा मोहनिया, बाबू कल्ला गुंडिया, केनू सवा अमलियार, भीमा तोलिया मेडा, रावजी हिरू मेडा, मडी कच्चा मेडा, पिंजू बहादुर भाभरिया आदि मजदुर आज भी अपनी मजदुरी मिलने का इंतजार कर रहे है। जिन लोगों ने तालाब का निर्माण कराया वे अभी तक इन्हें झुठा आश्वासन दे रहे है कि अभी राशि शासन से नही आई है, जबकी विभागीय पोर्टल कुछ और बया कर रहा है, जो जांच का विषय है।
जिम्मेदार बोल –
आपके द्वारा तालाब निर्माण में लगे मजदूरों के भुगतान व तालाब के अधुरे निर्माण का मामला संज्ञान में लाया गया है। मैं उसकों दिखवाता हूं।
– सी. एस. अलावा, कार्यपाल यंत्री, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा झाबुआ
सलंग्न चित्र

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