श्रद्धा का सैलाब”

झाबुआ शहर मे दशा माता की पूजा मनी धूमधाम से,जमा हुआ भक्तो का सैलाब”””जहां भक्ति वही शक्ती”””
मां दशा माता की पूजा बडे तालाब से लेकर छोटे तालाब पर भारी भीड के बीच पराम्परागत तरीके से हुई पूर्ण “”
भारी भीड के बावजूद महिलाओं ने की पूजा”””यातायत की सुविधा रही नदारद “प्रशासन की तरफ से नही मिला सहयोग “”” आम जनता ने खुद धैर्य बनाकर अपनी आस्था को किया जीवंत”””पांच हजार भक्तों की भीड के बावजूद पूजा हुई सपन्न ,वर्षो से हो रही है पूजा अर्चना, दशामाता के आगमन से पहले घर की साफ सफाई का बडा महत्व है”
अपने घर से पूजा की थाल के साथ ,सुबह सबेरे से,ही महिलाओं का लगा रहा, तांता,दशा माता के पूजन से घर की निगेटिव उर्जा का होता है शमन,,घर मे आती है सपन्नता, सारी विपदाएं होती है दूर ऐसा मानना है भक्तो का””दशामाता की पूजा मे विशेषकर पीपल की पूजा की जाती है!चैत्र मास होलीष्टिका के दसवें दिन दशा माता की पूजा की जाती है”
दंतकथाओं के अनुसार,दशा माता की पूजा की तैयारी,दस दिन पहले से शुरू हो जाती,जिस दिन होली जलती है,जब जलती होलिका से कच्चे सूत को निकलकर एक लोटे मे डालकर दस दिन तक उसे लोटे की विधवत पूजा की जाती है,दसवें दिन वही जल पीपल के पेड पर अर्पण कर कहानी सुनकर जड के” साथ उस धागे को घर लाते है ,या फिर मन्नत के अनुसार वृक्ष में बांध देते,उसी के साथ पूजा सपन्न हो जाती है!
दशा माता को भोग मे मीठे पुऐ, घी दूध की बनी वस्तुऐ विशेष रूप से अर्पण की जाती है!

