झाबुआ

❤️🌼❤️🌼आदमी बिकने लगे “🤍🌼🤍🌼

“आदमी बिकने लगे “❤️🌼
आदमी अब बिकने लगे
हैसियत के हिसाब से❤️🤍
रिश्ते अब टूटने लगे
अहमियत के मिजाज से❤️🤍
फर्क नहीं था कभी
अपने और परायों में🌼🤍
चूर-चूर हो गए रिश्ते
अब रस्मों रिवाज से
आदमी अब बिकने लगे…..❤️🤍
खूँ में बसती थी कभी
आदमी की खुद्दारी❤️🤍
बिकने लगे जमीर
अब अलग-अलग भाव से
आदमी बिकने लगे…..🌼🤍
बस नाम के रह गए अब
वफ़ा और ईमान❤️🤍
हाथ सेक रहे है
सब जलती अलाव से❤️🤍
आदमी बिकने लगे…..
वाह वाही ही हो रही अब
मौका परस्तों की
किसी को अड़ी नहीं है❤️🤍
अब सही जवाब से
आदमी बिकने लगे…….
कब बदलेगी आबों हवा
मेरे मुल्क के हाल की
मत कर ये सवाल” यश “🌼🤍
अब अपने आप से
आदमी बिकने लगे अब
हैसियत के हिसाब से!!🌼🤍
यशवंत भंडारी “यश “

🤍🌼🤍❤️🤍❤️🤍❤️🤍❤️🤍❤️

Reporter ❤️🌼

🌼❤️Rinku runwal 💐🙏-9425970791

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