नहीं रुक रहा नशे का कारोबार, जड़ तक नहीं पहुंच पा रही पुलिस’।

नशामुक्ति को एक जन अभियान के रूप मे चला कर युवावर्ग को इसके चंगुल से निश्चित ही बचाया जा सकता है ।


शब्दबाण और यूथअपडेट की एक पहल’’ जन जन हिताय सुखाय-जन जन सुखाय ।
झाबुआ’ । जिले में पिछले दो साल से पुलिस विभाग के तत्वावधान में नशा मुक्ति के लिए शिविर और अभियान चलाए जा रहे हैं । इसके साथ ही नशे के कारोबारियों की धरपकड़ भी समय समय पर की जा रही है। इसके बावजूद जिले में नशे की खेप की आवक रुक नहीं रही। पुलिस जिले में दूसरे प्रांतों से अवैध मादक पदार्थों की सप्लाई करने वाले रैकेट के सरगना को नहीं पकड़ पा रही है।
एक साल में नशे की खेप लेकर आने वाले कई आरोपियों को पुलिस ने दबोचा है और उनसे यह भी जानकारी मिली कि वे कहां से नशीला पदार्थ लेकर आए पर पुलिस जड़ तक नहीं पहुंच सकी और न ही उन लोगों को गिरफ्तार कर सकी जो बड़े नेटवर्क के जरिए जिले में अवैध मादक पदार्थों की सप्लाई कर रहे हैं। जिसकी वजह से कुछ आरोपी जरूर पकड़े जा रहे हैं पर स्मैक, गांजा, अफीम जैसे अवैध मादक पदार्थों की सप्लाई नहीं रुक रही। दूसरी ओर जिले का युवा वर्ग नशे की लत का शिकार होता जा रहा है। हालात यह है कि कई गांवों में खुले आम अवैध मादक द्रव्य बिक रहे है ।
नशा एक गंभीर समाजिक बुराई है। नशा एक ऐसी बुराई है, जिससे इंसान का अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है । नशे के लिये समाज में शराब, गांजा, भांग, अफीम, जर्दा, गुटखा, तम्बाकू और धुम्रपान (बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम) सहित चरस, स्मैक, कोकिन, ब्राउन शुगर जैसे घातक मादक दवाओं और पदार्थो का उपयोग किया जा रहा है । इन जहरीले और नशीले पदार्थो के सेवन से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि पहुंचानें के साथ ही इससे सामाजिक वातावरण भी प्रदूषित होता है।
बीड़ी, सिगरेट, गांजा, भांग, अफीम या चरस पीने वालों को जब भरपूर नशा प्राप्त नहीं होता है, तब वे शराब और हेरोइन जैसे मादक पदार्थो की ओर अग्रसर होते हैं । नशा किसी प्रकार का भी हो व्यक्तित्व के विनाश, निर्धनता की वृद्धि और मृत्यु के द्धार खोलता है। इस के कारण परिवार तक टूट रहे हैं। आज का युवा शराब और हेरोइन जैसे मादक पदार्थो का नशा ही नहीं बल्कि कुछ दवाओं का भी इस्तेमाल नशे के रूप में कर रहा है। इस आसुरी प्रवृत्ति को समाप्त करना परमावश्यक है।
जैसा कि हम सभी जानते है नशाखोरी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी होती है और यह चेतावनी सभी तम्बाकू उत्पादों पर अनिवार्य रूप से लिखी होती है, लगभग सभी को यह पता भी है। परन्तु लोग फिर भी इसका सेवन बड़े ही चाव से करते हैं। यह मनुष्य की दुर्बलता ही है कि वह उसके सेवन का आरंभ धीरे-धीरे करता है पर कुछ ही दिनों में इसका आदी हो जाता है, एक बार आदी हो जाने के बाद हम इसका सेवन करें न करें, तलब ही सब कुछ कराती है ।
सबसे खराब स्थिति उन बच्चों की होती है जो बालिग नहीं होते, मां-बाप की रोज के झंझट या वादविवाद का उनके अन्र्तमन में बुरा प्रभाव पड़ता है, ऐसे बच्चे मानसिक रूप से अन्य बच्चों की अपेक्षा पिछड़ जाते हैं । घर का अच्छा माहौल न मिलने से उनमें दब्बूपन आ जाता है और वे हमेशा डरे-डरे रहते हैं । अपने सहपाठियों से खुलकर बात नहीं कर पाते। शिक्षक के समक्ष अपराधबोध से ग्रसित वे सहमे-सहमे रहते हैं । एक अंजान डर के कारण पढ़ा लिखा कुछ भी पल्ले नहीं पड़ता । हम, हमारा समाज व सरकारे क्या कभी ऐसे लोगो के दुःख दर्द व मानवाधिकार से सम्बन्धित विषयों पर गौर करता है ?
शराब या अन्य मादक पदार्थ जीवन के लिए जरूरी नहीं है। किसी भी धर्म में इनका समर्थन नहीं किया गया है। स्वतंत्र भारत ने भी संविधान के भाग 4 की 47वीं धारा के अनुसार मादक पदार्थो का विरोध किया है । इस में कहा गया हैे कि सरकार मादक पेयों का प्रतिषेध करने का प्रयास करेगी।
केवल सरकारों के द्वारा नियम बनाने से यह बुराई समाप्त नहीं हो सकती। शराब तथा अन्य मादक पदार्थो से उत्पन्न होने वाली बुराइयों से निपटने के लिए जागरूकता का प्रसार-प्रचार करना आवश्यक है। इस दिशा में एक जन जागृति का अभियान सतत जारी रखा जाना वर्तमान युवा पीढी को पथ भ्रष्ट होने से बचाने के लिये तथा उनके दिलों में अपराध बोध को पनपने से बचाने के लिये पूरे समाज को आगे आना होगा । सिर्फ सरकार के भरोंसे रह कर यह काम पूरा नही हो सकता है। इसी कडी में हमने नगर के कुछ बुद्धिजीवियों एवं गणमान्यजनों के विचार भी लिये और सभी का एक स्वर में कहना है कि सामाजिक जागरूकता के साथ ही युवा वर्ग में नैतिकता के साथ ही नशाखोरी को प्रवृर्ति को रोकने के लिये सतल काम करने के साथ ही उनका समय समय पर फालोअपन भी किया जाना जरूरी है।
क्या कहते है प्रमुख जन
युवा वर्ग में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति वास्तव में चिंताजनक है। युवा उचित मार्गदर्शन के अभाव में नशा करते हैं। किशोरावस्था के बालकों पर खास ध्यान दिया जाए। उनकी संगत पर निगाह रखी जाए। संगत ठीक हो तो बच्चे नशे के जाल से बच जाते हैं- गुमानसिंह डामोर, सांसद रतलाम झाबुआ आलीराजपुर ।
आधुनिक युग में जहां हम तकनीकी रूप से सुविधा संपन्न बनते जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर देश की युवा पीढ़ी अवसाद और तनावग्रस्त होती जा रही है। युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी, अभिभावकों की अपेक्षाओं का भार और प्रतिस्पर्धा में पिछडने का डर उसे अवसाद की तरफ धकेलता है। बढ़ती महत्त्वाकांक्षा, आपसी सहयोग की कमी, अपनों से बड़ों से दूरी समस्या की जड़ है। युवाओं को समय-समय पर परामर्श देकर उनको संभाला जा सकता है- डा. विक्रांत भूरिया, विधायक झाबुआ ।
युवा वर्ग में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति का अहम कारण पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से बदलता कल्चर है। आज समाज में भौतिकता हावी होती जा रही है। दूसरा अहम कारण संयुक्त परिवार का टूटना भी है। आज एकल परिवार की वजह से बच्चों को वह प्यार व संस्कार नहीं मिल पाते, जिनकी अपेक्षा होती है। ऐसे में एकाकीपन को दूर करने के लिए बच्चे मोबाईल, इंटरनेट आदि से जुड़ जाते हैं। साथ ही नशे की लत के शिकार भी हो जाते हैं। युवाओं को माता-पिता के प्रेम व नैतिक शिक्षा की आवश्यकता है। साथ ही सरकार को भी मादक पदार्थों की बिक्री पर सख्ती से रोक लगानी चाहिए, तभी युवा पीढ़ी को बचाया जा सकेगा -यशवंत भंडारी समाज सेवी ।
नशा ही अपराध का मूल है नशा एक अभिशाप होता जा रहा है युवाओ को नशे से बचाने के लिए माता पिता को चाहिए शुरुआत संस्कार केन्द से करनी चाहिए बाल्य काल से खेलो के लिए प्रोत्साहित करना होगा ताकि युवा अवस्था मे व्यायाम व खेल पढाई मे व्यस्त हो जाए अच्छी संगति मे युवाओ का विकास होगा नशा मुक्त युवा बलवान युवा- स्वस्थ युवा शक्तिशाली भारत’ –सुशील वाजपेयी पहलवान नेशनल, इंटरनेशनल मेडलिस्ट आयरन गेम्स
झाबुआ प्राकृतिक व सामाजिक रूप से भले सम्पन्न शहर है किंतु एक बहुत ही चिंता का विषय यहाँ विभिन्न रूपों मे नशाखोरी का दबाव है। यहाँ के युवा वर्ग मे यह लत किसी बड़ी घातक बीमारी की तरह पैर पसार चुकी है, जहाँ एक और परिवार का दायित्व इनके नैतिक पतन को नही रोक पा रहा है तो वही शासन प्रशासन की ओर से कई बार निर्देश दिये जाते है, किंतु किसी भी नियम पर सुचारु रूप से अमल नही हो पाता है। इसमें परिवार के सदस्यों को अपने बच्चो की और विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है नही तो भविष्य बहुत ही घातक होगा।
वही दूसरी और पुलिस प्रशासन को बड़ी सख्ती से इस और अपना कदम बढ़ाना ही होगा जिससे भटकती युवा शक्ति पुनः सही राह पर आये। विशेष रूप से इस गोरख धन्धे को चलाने वाले दुराचारियो को गिरफ्तार कर सख्ता सजा देना ही चाहिए ताकि शहर मे फेले इस जहर की समाप्त कर शहर को। जीवन दान दे सके। –भारती सोनी झाबुआ’ प्रमुख संकल्प ग्रुप एवं समाजसेवी
झाबुआ जिले को नशा मुक्त करना है तो केवल रस्म अदायगी वाले कार्यक्रमों से मुक्ति दिलाना पड़ेगी। अब दरकार है इसे एक जन आंदोलन बनाने की और ठोस नीति से कार्य योजना तैयार करने की। जिले में अधिकतर युवा नाइट्रावेट गोली या इंजेक्शन लेकर नशे की लत में पढ़ने जा रहे हैं, हम सभी को मिलकर पुलिस प्रशासन के सहयोग से ऐसे लोगों को चिन्हित करना पड़ेगा जो रोजाना नशा करते हैं। उन्हें सामाजिक माध्यम से चेतना जगा कर बार-बार उनसे मिलकर नशे से निजात दिलाने का प्रयास करना पड़ेगा केवल बात कर लेने एवं शपथ लेने से जिला नशा मुक्त नहीं होगा । हम सबको इसे बड़ा जन आंदोलन बनाना पड़ेगा तभी हमारा जिला नशा मुक्त जिला हो पाएगा । साथ ही हमें उन अज्ञात शक्तियों को भी जेल की काल कोठरी में भिजवाना पड़ेगा जो इस जिले की हवा को खराब कर रहे हैं -नीरज राठौड़, सकल हिंदू समाज, अध्यक्ष सामाजिक महा संघ झाबुआ ।
नशे के खिलाफ समाज और सरकार मिल कर करेंगे प्रयास तो तय है कि हम अपने पवित्र लक्ष्य को हांसील कर सकेगें । आज आवश्यकता है नशे से होने वाले भयावह तस्वीर से सभी को अवगत कराने की ।नशे पर, बन्दिश, बेहद सार्थक कार्य, एवं सार्थक पहल है। अच्छा लगता हैं शब्द बाण का यह अद्भुत नेक काम को नेतृत्व कर रहा है।अआवश्यकता है आज, गाँव में, शहर में सभी दूर भयावह रुप से नशे की जो आदत सी हो गई है अधिकांश भाग में उसे, कैसे दूर किया जा सकता हैं, मुश्किल सा लगता हैं ऐसा भी नही है सब सम्भव है सब कुछ सम्भव है आवश्यकता है सभी समाज के लोग बिना किसी राजनीति, धर्म आदि से दूरिया न रखते हुए एक मंच पर आकर आज की युवा पीढ़ी और गाँव में सभी को इस नशे से होने वाले भयावह तस्वीर को सामने रखते हुए उन्हें समझाया जाय, संकल्प दिलाया जाय उसके लिए शहर के, जो भी गण मान्य नागरिक है और प्रतिभाशाली व्यक्ति को एक मंच पर लाकर युवा पीढ़ी को आमन्त्रित कर उन्हें विश्वास मै लेते हुए समझाया जाय, । आज कोई भी सरकार हो उसे भी सार्थक कार्य, पहल के साथ इस काम को हाथ में लेते हुए प्रयास करना होगा, सभी के सहयोग से ही कुछ सार्थक कार्य हो सकता हैं ,समय लग सकता हैं पर, असम्भव कुछ नहीं होता है । मेरे लिए भी यह एक बहुत नेक काम होगा जीवन में अक्सर लोग नशे के कारण बहुत कुछ खो देते है या कहे सब कुछ। शुभ कामना देता हूँ शब्द बाण के अद्भुत सराहनीय कार्य की पहल को- ओम शर्मा शिक्षाविद् एवं विचारक ।
देश का युवा वर्ग आज नशे की गिरफ्त में फंसता जा रहा है। इसका एक कारण है सहनशक्ति की कमी। युवा आजकल बहुत जल्दी अपना हौसला खो देते हैं, जिसका परिणाम यह होता है कि वे डिप्रेशन में चले जाते हंै और फिर वे नशे की गिरफ्त में फंस जाते हैं। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को हालात से लडना सिखाएं और उन्हें मजबूत बनाएं। दूसरा बड़ा कारण ये है कि आजकल नशा फैशन बनता चला जा रहा है। गलत संगत में पड़कर नशे को फैशन मान लेना युवा वर्ग की सबसे बड़ी कमजोरी है। दूसरों की देखा-देखी भी लोग नशा करने लग जाते हैं। अपने आपको आधुनिक बनाने के लिए नशे का सहारा लेने लगते हैं, जो कि गलत है। युवा वर्ग की कमजोर सोच का फायदा उठाते हुए नशे के व्यापार में लगे हुए लोग उन्हें नशे के लिए प्रेरित करने लग जाते हैं। इसके लिए जरूरी है कि युवा अपने आपको मजबूत बनाएं और गलत संगति से बचें। कोई भी परेशानी अपने माता-पिता के साथ में शेयर जरूर करें- राजेन्द्र सोनी, कलमकार
इसलिये अब समय की मांग है कि नशामुक्ति एवं युवावर्ग में नशाखोरी के दुष्प्रभाव को लेकर जन जागरण का अभियान हमें छोटे स्तर पर ही सही चलाना जरूरी है। यदि पवित्र उद्देश्य को लेकर कोई काम किया जावे तथा नगर की समाजसेवी एवं स्वयं सेवी संस्थायें एकजूट होकर संकल्प ले लेवे तो हम फख्र के साथ कह सकते है कि जीतेगा भारत – जीतेगा झाबुआ और यह छोटा सा प्रयास पल्लवित होकर वट वृक्ष की तरह बन जायेगा ।





