झाबुआ

मालवा लोक संस्कृति

अद्भुत अद्भुत अविरल है मेरा मालवा और यहाँ की कालजयी संस्कृति
इस बात में कोई दो मत नही, अल्प समय में हम कोई भी उसके बारे में
नही के बराबर भी नही बात सकते है
यूँ ही नही पुरा देश विश्व गर्व करता है यहाँ की अद्भुत संस्कृति की विरासत पर धरोहर पर, अथाह प्रेम, स्नेह और अपनेपन पर, सचमुच धन्य हैं वो सभी जिनका जन्म इस पावन भूमि पर हुआ
जहाँ के जल में, हवा में, कण कण में
सादगी, सहजता, सरलता और भाई चारा है प्यार मानव मात्र के लिए
आदर है मानव जाति धर्म के लिए क्या नही है यहाँ सब कुछ अच्छा बहुत ही अच्छा जो एक इंसान के लिए आवश्यक होता है तभी तो दुनिया में आज इस की अद्भुत पहचान है और दुनिया के लोग यहाँ आने को कुछ देखने और सीखने को लायायित रहते है,

सच तो यह है कि अद्भुत जीवन दर्शन को समेटे है यहाँ की संस्कृति बहुत ही सीखने को मिलता है, दया दृष्टि करुणा, मेहनत, निष्ठा, आस्था, सहजता, सरलता सादगी, अथियों का आदर,मान, सदा ही खुश रहने का अद्भुत संदेश, सदा ही श्रम और कर्म का पाठ सिखाती, सब कुछ इस मालव भूमि की लोक संस्कृति में समाहित हैं और पूरे विश्व को अपनी कला, संगीत, साहित्य और रहन सहन आदि से बहुत कुछ सिखा जाती हैं
गर्व है मुझ मालवा  भूमि पर मेरे जन्म पर की ईश्वर ने मुझे इस धरा पर जन्म दिया है  जिसकी सहजता और मिठास ने मानवीय मूल्यों की सोच और चिंतन ने मुझे सही दिशा दे एक सार्थक कार्य करने के लिए सदा ही प्रेरणा दी
प्रणाम करता हूँ मालवा  भूमि को यहाँ के जन जन को मेरे सादर प्रणाम सदा ही वन्दनीय है

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