झाबुआ

शिवप्रिया महिला मंडल ने अनास तट पर पारदेश्वर दरबार में मनाया फागोत्सव,किया गया महिलाओं का सम्मान ।

सामाजिक तौर पर देखें तो परिवारों में भी यह जरूरी है अलग-अलग विचारों, अभिरूचियों, स्वभावों के बावजूद हम लोग हिलमिल कर रहें- श्रीमती सूरज डामोर
शिवपार्वती का परिवार उत्कृष्ठ उदाहरण है जो हमे परिवार में परस्पर सम्मान की शिक्षा देते है-श्रीमती निवेदिता सक्सेना
झाबुआ। शिव प्रिया महिला मंडल झाबुआ एवं महिला मंडलों के द्वारा अनासनदी के पावन तट स्थित पारदेश्वर महादेव मंदिर पर भगवान भोलेनाथ के विवाहोपलक्ष्य तथा विवाहोपरान्त  माता पार्वती का गौना (आणा) लाने एवं देव दर्शन  तथा महिला दिवस के अवसर पुष्पो से होली का आयोजन किया गया । सुश्री रूकमणी वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि महिला मंडल द्वारा इस अवसर पर रंगारंग भजनों की प्रस्तुति दी गई ा साथ ही सभी महिलाओ ने संगीतमय भजनों के साथ  झुम कर श्रद्धा भावना के साथ नृत्य किया ।
इस अवसर पर महिला दिवस के उपलक्ष्य में निवेदिता सक्सेना ने महिला सशक्तिकरण पर उदबोधन देते हुए कहा कि हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्त रमंते तत्र देवता उन्होने कहा कि महिला का सम्मान ही परिवार का सम्मान होता है। समाज में पुरुष और महिलाओं के बीच के भेदभाव को मिटाकर समानता लाने के प्रयास के लिए महिला दिवस मनाया जाता है। महिलाओं और पुरुषों के बीच के शारीरिक भेद के कारण समाज में सालों से उनके रोल तय किए जा चुके हैं और ऐसी उम्मीद की जाती है कि महिलाएं उन नियमों का पालन करेंगी। समाज में जड़ें जम चुकी ऐसी उन असमानताओं के प्रति एक ललकार है, महिला दिवस। इतना ही नहीं आज तक महिलाओं ने अपने परिवार, अपने दोस्तों, अपने समाज और अपने देश के लिए जो भी काम किए हैं, उन सभी के लिए यह दिन उन्हें धन्यवाद देने का भी है। हमारे शास्त्र कहते है कि जहां मातृशक्ति का सम्मान होता है वहां देवता स्वयं निवास करते है। शिवपार्वती का परिवार इसका उत्कृष्ठ उदाहरण है जो हमे परिवार में परस्पर सम्मान की शिक्षा देते है।
इस अवसर पर श्रीमती सूरज डामोर ने कहा कि कि शिव-पार्वती विवाह आध्यात्मिक दृष्टि से शिव का शक्ति से मिलन है। माता पार्वती जीवात्मा का प्रतीक है और भगवान शिव परमात्मा है। प्रत्येक जीवात्मा परमात्मा से पार्वती की तरह मिलने के लिए व्याकुल है। भगवान को पाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति अपने स्तर पर प्रयास कर रहा है। भगवान शिव के परिवार में रहन-सहन और खानपान में काफी विषमताओं के बावजूद भी सभी प्रेम, एकता और भाईचारे की भावना से रहते हैं और इन सभी की परस्पर आपस में शत्रुता है लेकिन फिर भी इनके बीच में कभी कोई लड़ाई छिड़ी हो ऐसा नहीं हुआ। क्योंकि देवताओं के जो प्रतीकात्मक पशु वाहन हैं वे शत्रुता के बीच मित्रता का भाव जाग्रत करते हैं और अपने स्वभाव अपनी प्रवृति को छोड़े बिना सभी से मिलजुलकर रहते हैं।  सामाजिक तौर पर देखें तो परिवारों में भी यह जरूरी है अलग-अलग विचारों, अभिरूचियों, स्वभावों के बावजूद हम लोग हिलमिल कर रहें अपनी सोच दूसरों पर न थोपी जाय और सबसे खास बात यह कि मुखिया और अन्य बड़े सदस्यों के गले में गरल थामें रखने का धीरज और सबको साथ लेकर चलने की आदत हो तभी संयुक्त परिवार चल सकते हैं। यह बात हमारे परिवार तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए वरन् हमारे देश में विभिन्न धर्मो, जाति और विविधताओं के बीच एकता व संतुलन शिव परिवार की तरह जरूरी है। जिस प्रकार शिव परिवार  में माता पिता ,पुत्र-पुत्री का किस प्रकार सम्मान किया गया कितनी भी कठिन  परिस्थिति हो ,उसका धैर्यता के साथ सामना करना चाहिये । नारी के लिये प्रतिदिन महिला दिवस होना चाहिये । इस अवसर पर चंदनबाला शर्मा एवं  कल्पना राणे द्वारा भी  महिला सशक्तिकरण पर विचार व्यक्त किये गये । इस अवसर पर चंदनबाला शर्मा एवं श्रीमती सूरज डामोर का पुष्पमालाओं एवं मोती की मालाओं से शिल्ड देकर सम्मान भी किया गया ।
शिवप्रिया मंडल की सुश्री रूकमणी वर्मा ने जानकारी दी कि इस अवसर पर महिलाओं ने फुलो एवं रंग गुलाल,अबीर से होली खेली गई । इस अवसर पर रूकमणी वर्मा, अनिला बैस, माया पंवार, कविता राठौर,निवेदिता सक्सेना,भावना टेलर, विनिता टेलर, लता चैहान, कविता चैहान, राधा, विद्या विश्वकर्मा, सीमा गेहलोद, कल्पना ,करूणा, श्रीमती मालवीय, आशा ,शिवानी गुप्ता, का श्रीफल एवं पुष्पमालाओं द्वारा सम्मान चंदनबाला शर्मा, द्वारा किया गया तथा शिवप्रिया महिला मंडल द्वारा मेघनगर से पधारी महिला मंडल की बहिनों का माला श्रीफल से सम्मान किया गया ।

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