झाबुआ

लघु कथा
दादा से माफ़ी मांग

आज हम आपको प्यार का अद्भुत बेहद सुखद अहसास कराते है नसीब वाले लोग हैं वो जिन्हें यह नजीब है मेरी जिंदगी दौड़ रही है तो मेरे तीन पोते पोती और नाती के नटखट बच्चों के बेहद हिसाब और निस्वार्थ भाव प्यार से जिन्हें नहीं पता बड़ा बन गया हूं जिन्हें नहीं पता अथाह धन लिए हूं कोई स्वार्थ नहीं कोई चाह नहीं कोई सपना नहीं मुझ से कोई आशा नहीं बस प्यार प्यार कितना अद्भुत होता हैं न यह आज की दुनिया में मिलता हुआ स्वार्थ प्यार
आज छोटे पोते ने मेरे बस्तर पर पानी डाल दिया दो साल के पोतों की बात कर रहा हूं आदरणीय देख उनकी भावना सोच चिंतन अद्भुत
बड़ा पोता उसे पकड़ कर मेरे पास लाया और बोला दादा इसने पानी डाल दिया आपके बस्तर पर हमें तो दो साल में बिस्तर बोलते भी नहीं आता था खैर, इस शिकायत पर छोटे की कमाल की अद्भुत मुद्रा देखें
जैसे बहुत ही बड़ा अपराध किया हो
सिर झुका कर खड़ा रहा बहुत ही भाव पूर्ण मुद्रा लिए फिर बड़ा बोला, दादा से माफ़ी मांग जब उसने माफ़ी मांगी तब उसे छोड़ उसने, उन दोनों के अथाह प्रेम प्यार को मेरे प्रति आदर और सम्मान को, मेरे ख्याल रखने के बहुत ही प्यारे अंदाज को देखते हुए सचमुच बहुत ही सुखद अहसास कर रहा था वहीं अंदर से मन हो रहा था उनकी भावना सोच और मेरे प्रति प्यार देखे , थोड़ा क्या पूरा बिस्तर भी गिला कर दे क्या फ़र्क पड़ता है इन ना समझ बच्चों के लिए पर यह प्यार स्नेह और आदर हैं जिन्हें कितनी जल्दी कितनी अच्छी सोच को जन्म दिया है मुझे गर्व महसूस हुआ पोते के अथाह प्रेम प्यार पर अद्भुत ताकत मिलीं जीने की कोई हो नहीं हो क्या फ़र्क पड़ता है ये तीन पोते पोती और नाती बहुत है मेरे शेष जीवन की पूंजी ताकत और में मस्त हो गया बल्कि कभी कभी तो उनके बेहद प्यार को रात सोते समय भी याद कर मुस्काता हुआ सो जाता हूं सुबह फिर उनके प्यार की चाह में

डॉ रामशंकर चंचल
झाबुआ मध्य प्रदेश

Reporter

🙏 Rinku runwal 🙏-9425970791

Shabdabaan.in

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button