
हर एक मर्ज की मैं दवा ले के आया हूँ
मालिक ने जो अता की वो शिफा ले के आया हूँ
कर देगी खुशगवार जो अहले चमन को फिर
खुशबुओं से तरबतर वो फिज़ा ले के आया हूँ
मालिक ने जो अता की वो शिफ़ा ले के आया हूँ!!
कैसे सताएगी अब भला दुनियाँ की मुश्किलें
माँ से मैं आज खूब दुआँ ले के आया हूँ
मालिक ने जो अता की वो शिफा ले के आया हूँ!!
खत्म हो जायेगी हर बला अब मेरे घर से
एक नायाब फ़रिश्ते का पता ले के आया हूँ
मालिक ने जो अता की है वो शिफ़ा ले के आया हूँ!!
शमा गर बुझ भी गई " यश "कुछ ग़म नहीं है
रोशन करेगा सारा जहाँ वो दिया ले के आया हूँ
मालिक ने जो अता की है वो शिफा ले के आया हूँ!! यशवंत भंडारी "यश "