अपना सम्पूर्ण जीवन, हिन्दी की सेवा में लगा देने वाला, झाबुआ का अद्भुत साहित्य साधक,**डॉ रामशंकर चंचल*

मध्य प्रदेश के, आदिवासी पिछड़े इलाके, रानापुर मै जन्म हुआ, एक ऐसा साहित्य साधक, जिसने अपना सम्पूर्ण जीवन को, हिन्दी भाषा की सेवा करने में लगा दिया
आज, सेकडों पत्र, प्रत्रिका और, गूगल, फेस बुक, यू टू ब चैनल, सार्थक अद्भुत, सेकडों कृतियों के साथ, पठायक्रम के साथ, अनेकानेक देश के, विश्व स्तर के सग्रहों मै छाया एक ऐसा नाम, जो आज, साहित्य में, किसी भी परिचय का, मोहताज नहीं है, हजारों रचनाओं का लेखन के साथ साथ उनको अपना अद्भुत स्वर भी दे आज, सम्पूर्ण विश्व पटल पर छाया हुआ, यह वो नाम है, डॉ रामशंकर चंचल, जिसके आज लाखों पाठक है, जो उनकी रचनाओं का इंतजार करते हैं और अद्भुत परम् सत्य यह है कि, आज उनकी रचनाओं को सुन कर, पड़ कर, सेकडों युवा पीढ़ी के नये कवि और लेखक बन कर आज, उन्होंने ने भी, अपनी पहचान बना रखी हैं, देश में बड़े आदर से लिया जाने वाला, सादगी और सहज सरल, व्यक्तिव का धनी, यह नाम, सचमुच वन्दनीय है, जिसे कोई चाह नहीं, जिसकी रगों में, कविता, दोड़ती है और प्रतिदिन, जन्म लेती है, सचमुच, बेहिसाब, रचनाओं का सर्जन करने वाला एक कालजयी साहित्य साधक है डॉ चंचल, जिसने झाबुआ की देव भूमि को सार्थक कर दिया, हिन्दी दिवस के इस शुभ अवसर पर, यह जिला, प्रदेश और देश उन्हें प्रणाम करता है और उनके उज्जवल भविष्य के साथ उन से और भी अनेक सार्थक रचनाओं की अपेक्षा करता है