झाबुआ

दीप जले उत्साह.के.-आलेख.

आख़िर आ ही गया .इस वर्ष का अंतिम पर्व़ हर्ष उल्लास भरा..! राम जी इसी वर्ष धूमधाम से विराजित हो गये अपनी जन्मभूमि में.अब न कोई दंगा न फ़साद..चलो फिर से चलते हैं .ग़रीबों की बस्तियों में.उनके घरों की ओर .पतली गलियों में..जहां रोशनी के नामपर.पीले बल्ब की जगह .सफेद बल्ब ने.जगह बना. ली ।बदलाव बहुत हुआ..पर झुग्गी झोपड़िया.पहले से अधिक हो गयी!
ख़ुशियाँ सभी को भाती हैं!परन्तु.क्या खुश हैं .नीचे तबके वाले!
अक्सर हम सब एक संस्था बनाकर .थोड़ी मदद कर भी दे .तो भी .कुछ कम न हो जाऐगा.कल हम ख़ुशियाँ बाँटने गये.कुछ कपड़े खिलौने.फल लेकर.कुछ समय .गाँव खेड़ों में.कोई गरीब नज़र न आया,.मन अभिभूत.ये सब देखकर.चर्चा हुई.हमारा भारत अमीर हो गया..!
तभी एक नन्ही बच्ची .आधे कपड़ों में बाहर आयी..कुछ डरी सहमी सी.उसके पीछे उनकी माँ.भी आयी..जो गर्भवती थी!
उसके लम्बें घूँघट के अंदर बेबसी से झांकती दो आँखें.!
स्त्री का स्त्री से पर्दा..!
हमने रोककर पूछना चाहा .पर वो न रूकी.!
अभी कुछ बात जानने की कोशिश कर ही रहे थे.की.जत्थे के जत्थे.लोग जाने कहाँ से .आ गये!भीड़ बढ़ती जा रही थी,पाँच सौ लोगों का सामान.हज़ारों में बंट गया पर ।भीड़ कम न हुई!हम वहाँ तो कुछ पल की ख़ुशियाँ तो बाँट आये!पर अपनी ख़ुशी कम कर आये!
चितंन इस बात का है.लोग नशे के आदि है!
घर चलाने के लिए .दस प्रतिशत पर आपस में ही ब्याज का आदान-प्रदान.करते हैं!अशिक्षा.आज भी. है!कैसे समाप्त होगा ये सब. । चीन अमीर हो रहा है सहमत हूँ!मिट्टी के दिऐ ख़रीदने के बाद क्या ग़रीबी मिट जाऐगी !
नहीं मिटेगी.जबतक मांसाहार और मदिरा का त्याग न होगा! ख़ुशियाँ पर्व से नहीं .अपनों से होतीं हैं! ये बात जितनी जल्दी समझ में आ जाऐ.तभी होगी .सच्ची ख़ुशी दिवाली की. !तभी जलेंगे.मन.और देहरी पर.सच्ची ख़ुशी के दीप..हैप्पी दिवाली ।
रीमा महेंद्र ठाकुर.वरिष्ठ लेखक साहित्य संपादक “राणापुर झाबुआ मध्य प्रदेश भारत

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