झाबुआ के डॉ रामशंकर चंचलविश्व मंच पर, चर्चा, एक धन्टे कीदो दिन में दो सो, द्वारा, सुन, दो सो को सुनाई
झाबुआ, नि प्र, झाबुआ के साधरण
परिवार में जन्म हुआ, डॉ रामशंकर
चन्चल, आज विश्व पटल पर चर्चा का विषय है, अद्भुत अद्भुत, है धन्य हैं
झाबुआ की पावन भूमि, जहाँ जन्म हुए, एक शिक्षक को, आज, दो दिन ही हुए है और, दो दिन से लगातार रात
दिन उन्हे सुना जा रहा है साथ ही सुनने वाले, वही अपनों को सुना गर्व
महसूस कर रहे है, गर्व होना भी स्वभाविक है, पिछड़े इलाके का, उपेक्षित, इलाके का निवासी, एक
साधारण व्यक्ति, आज, पूरे देश के लिए, अपनी रचनाओं से, सोच और चिंतन से, अद्भुत रूप से न केवल सुना जा रहा है बेहद सराहा भी जा रहा है, प्रतिदिन, कितने ही फोन आ रहे है, परेशान डॉ चन्चल को दुःख भी है कि वे चाहकर भी, फोन पर बात नहीं कर सकते है उनके जीवन की अनेक किरदार की भूमिका इस बात के लिए, उन्हें इज्जादत्त नहीं देती हैं
सभी को आभार सहित दिल से वे प्रणाम करते हुए, व्यस्त रहते है
