दीपों की रोशनी में
रोशनी करें मन को
दीपावली आई
सुखद अहसास हुआ
हर साल की तरह
आज भी
चालों इस बार
हम सभी मिल
कुछ नया करें
वह हमेँ हर साल
रोशनी के संकेत के
बहाने बहुत कुछ
कहती हैं
पर हम सिर्फ दीप
जला फ्टाखों की
आवाज और
मिठाई खा कर और
खिलाकर
पर्व की इति श्री
कर देते है
चालों आज हम
कुछ नया करें
उसकी रोशनी में
बहुत बहुत हुए
कुटिल मन को
बुरी सोच को
तेरे मेरे को
ऊँच नीचे को
अमीर गिरीब को
जाति धर्म को
सैकड़ो कुटिल
बेमतलब की सोच को
गलत धरना के
अंधकार से भरें
इस मन को
रोशनी में नहला
साफ करें
तभी कुछ नया होगा
तभी कुछ सार्थक होगा
पर्व का आना
दीपों का जलाना
और रोशनी के
महत्व का
वरना सालों की तरह
दीपावली आई
और बहुत कुछ संदेश
देती इस बार भी
चली गई
और हम ज्यों के त्यों
मन की कुटिलता मै
अंधकार में जकड़े
अपने और अपने साथ
देश, समाज
को भी कंलकित करते
रहेगें
तो चलों
देर मत करो
और लो अभी एक
नया संकल्प
और करों
मन को रोशन
शुद् दीप की रोशनी में
ताकि यह रोशनी
पर्व का सुख और सुकूंन
यूँ ही नहीं
व्यर्थ जाय
डॉ राम शंकर चंचल
झाबुआ मध्य प्रदेश
