भीतर क्षमा हो, तो क्षमा निकलेगी भीतर ईर्ष्या द्वेष अहंकार रूपी गन्दगी भरी है, तो गन्दगी ही निकलेगी इस लिए जब भी कुछ बाहर निकले तो दूसरे को दोषी नहीं ठहराना यह हमारी ही संपदा हैं, जिसको हम अपने भीतर छिपाए बैठे हैं ।
ईश्वर ने जो दिया है मनुष्य उसकी कद्र नहीं करता और जो नहीं है, उसके पीछे भागता है, इसलिये उसको संतोष नहीं मिलता और फिर ईश्वर से प्रार्थना करता है कि मुझे दुःख क्यों दिया ।
किसी की सलाह से रास्ते जरूर मिलते हैं, पर मंजिल तो खुद की मेहनत से ही मिलती है ।
