झाबुआ

(जीवनदायक.भाटी जी)

आदर्शों के.मानव तन में.
प्रज्ज्वलित दीप थे भाटी जी!
मानव तन के ह्रदय तमिर में.
साँसों के स्पंदन भाटी जी!

तजकर रातों की नींदें.
तन के टुकड़ों को बिधें!
कुछ असहाय.दुखी ह्रदय.
साँसों को गिनती में जीते!

देते लोगों को नवजीवन.
भरते जीवन का ख़ालीपन!
हर कठिन समय के प्रणेता.
जीवन के प्रेरक भाटी जी!!

मोहन से.मोहन में रमकर.
तन के .कष्टों को हरते!
निष्ठा से मानव की सेवा.
करते थे.मोहन भाटी जी!

शब्दों में था .वत्सल्य भरा.
आँखों में रहती गहराई.!
मुखपर रहती मुस्कान सदा.
ख़ुशियों से करते भरपाई!!

हम ऐसे पुष्य धरोहर के.
चरणों में नमन आज करते!
सदा यशोदा की गोदी.मैं.
मोहन .लाल बनकर पलते!

ह्रदय द्रावित मन है विचलित.
एक सितारा टूट गया!
वो रात अमावस.दीप जले.
फिर एक सहारा छूट गया!

रीमा महेंद्र ठाकुर
(महाशक्ति महिला मंडल)
(ओटला मंच)
राणापुर झाबुआ मध्य प्रदेश भारत “

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