झाबुआ

गुजरात सहित छः राज्यों का ज्ञानकुंभ आज से कर्णावती में

✍️📖विकसित भारत में शिक्षा का योगदान विषय पर ज्ञानकुंभ 2024 का आयोजन📖✍️

📖✍️शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली द्वारा “विकसित भारत में शिक्षा का योगदान” विषय पर दो दिवसीय ज्ञानकुंभ-2024 का आयोजन 30 नवंबर एवं 1 दिसंबर, 2024 को गूजरात विद्यापीठ, कर्णावती (अहमदाबाद) में किया जा रहा है।✍️📖

📖✍️इस ज्ञानकुंभ का उद्घाटन गुजरात के महामहिम राज्यपाल मा. आचार्य देवव्रत जी के करकमलों द्वारा किया जाएगा। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. जयेंद्रसिंह जादव ने बताया कि इस कार्यक्रम में गुजरात के स्वास्थ्य और उच्च तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री ऋषिकेश पटेल, उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री प्रफुल्लभाई पानसेरिया, पूर्व शिक्षा मंत्री और गुजरात विद्यापीठ के ट्रस्टी श्री भूपेंद्रसिंह चूड़ासमा, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव श्री अतुलभाई कोठारी, गुजरात विद्यापीठ अहमदाबाद के कुलपति श्री हर्षद पटेल, ज्ञान महाकुंभ-प्रयागराज के संयोजक संजय स्वामीजी और गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. भाग्येश ज़हा उपस्थित रहेंगे।📖✍️

📖✍️श्रीमद्भगवद्गीता के ‘न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते’ के अनुसार इस दुनिया में ज्ञान के समान पवित्र कुछ भी नहीं है। इसी सिद्धांत को आधार मानते हुए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास पिछले दो दशकों से शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।📖✍️

📖✍️ज्ञानकुंभ का मुख्य उद्देश्य भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने में शिक्षा की भूमिका पर विचार-विमर्श करना है। वर्तमान में भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित हो चुका है और कृषि, कौशल विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है।📖✍️

✍️😘यह कार्यक्रम पश्चिम भारत के छह राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और गोवा के लिए आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर इन राज्यों के शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव, UGC, AIU, AICTE जैसे महत्वपूर्ण शैक्षिक संस्थानों के मुख्य अधिकारी, विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं कुलाधिपति, विभागीय अध्यक्ष, प्रधानाचार्य तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित रहेंगे।📖

📖✍️शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का इतिहास और योगदान उल्लेखनीय रहा है। वर्ष 2004 में ‘शिक्षा बचाओ आंदोलन’ से प्रारंभ कर, न्यास ने 2014 में ‘शिक्षा में नए विकल्प’ का प्रारूप तैयार किया।📖✍️

जिसमें से कई सुझावों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शामिल किया गया। वर्तमान में न्यास मातृभाषा शिक्षा, वैदिक गणित, चरित्र निर्माण व्यक्तित्व का समग्र विकास, पर्यावरण शिक्षा, शिक्षक शिक्षा और आत्मनिर्भर भारत जैसे विषयों पर कार्य कर रहा है।✍️📖

✍️📖कार्यक्रम के दौरान एक विशेष प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें पश्चिम भारत के प्रयोगशील एवं प्रतिमान विद्यालय, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय अपने नवाचारों और उपलब्धियों को प्रदर्शित करेंगे। यह प्रदर्शनी भारतीय शिक्षा की वैज्ञानिकता एवं आधुनिकता को दर्शाएगी।📖

✍️📖यह ज्ञानकुंभ चार क्षेत्रीय (पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण) ज्ञानकुंभ की श्रृंखला का हिस्सा है। जैसे प्रयागराज का कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक एवं धार्मिक मेला है, वैसे ही यह ज्ञान महाकुंभ शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। इस आयोजन के माध्यम से भारतीय शिक्षा को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित करने और विकसित भारत के निर्माण में शिक्षा की भूमिका को सुदृढ़ करने का प्रयास किया जाएगा।📖✍️

📖✍️इस कार्यक्रम के सह-संयोजक डॉ. समीर पंड्या और डॉ. कंदर्प चावडा हैं।

✍️📖न्यास का मानना है कि यदि देश की शिक्षा को एक नया विकल्प देना है तो भारत केंद्रित शिक्षा पर कार्य करना होगा और इस कार्य के लिए आंगनवाड़ी से लेकर विश्वविद्यालय तक के सभी शैक्षिक संस्थानों और उनमें कार्यरत शिक्षकों, प्राध्यापकों, आचार्यों, कुलपतियों और शिक्षा मंत्रियों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।📖📖

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