अंग्रजी में जिसे अपना नाम लिखते नही आता वह व्यक्तित्व रामशंकर चंचल झाबुआ के आज विश्व पटल परअद्भुत छवि लिए
मध्य प्रदेश के आदिवासी पिछड़े झाबुआ के विश्व पटल पर देश का गौरव बड़ा रहे रामशंकर चंचल झाबुआ जिन्हे अंग्रजी में अपना नाम तक् लिखते नही आता है और हिंदी के अद्भुत बेहद सार्थक बेहद सुखद अहसास लिए लेखन के कालजयी रस्चनाओ के धनी व्यक्तित्व रामशंकर चंचल झाबुआ आज सम्पूर्ण भारत के साथ पूरे विश्व पटल पर दिखाई देते हैं सेकड़ो अंग्रजी लिखे बड़े मंच संस्था के सम्मान लिए है और अनेकानेक रचनाएं आज अद्भुत रूप से विश्व धरा पर छाई है सचमुच बेहद गर्व है झाबुआ की देव भूमि को जहाँ महान हिंदी भाषा के पुजारी का जन्म हुआ जिसने हिंदी में आदिवासी जिले के आदिवासी जिले के आदिवासी की पीड़ा दर्द जीवन को संपूर्ण विश्व पटल पर आज अंकित कर दिया जिसे खुद पत्ता नहीं यह सब कैसे हुआ बस एक ही जवाब सदा ही ,वो जाने जिसे सब ईश्वर कहते है कौन है वह ईश्वर मे भी नही जानता हूँ बस रोज रोज कर्म करते हुए जीता है इससे ज्यादा कुछ नही जानता वह ईश्वर रोज मेरी झोली भर देता है सच तो यह उसे समेटना भी मुश्किल हो जाता हैं थक जाता हैं प्यार दुलार आशीर्वाद सब कुछ अथाह है ईश्वर का उस ईश्वर को मानने वाले सभी मानवीय संवेदना लिए इंसानो का सभी को सदा ही सादर चरण वंदन प्रणाम करता हूँ
