ऊषा राज साहित्य अकादमी के बैनर तले,रूप नही रूह है कृति समीक्षा
झाबुआ नि प्र ऊषा राज साहित्य अकादमी के बैनर तले रूप नही रूह है कृति समीक्षा की गई सर्व प्रथम ,मा सरस्वती की पूजा आराधना की गई फिर डॉ रामशंकर चंचल ने अपनी ताजा कृति, रूप नहीं रूह है कृति की प्रासंगिता पर
प्रेम के अद्भुत पावन पवित्र चरित्र को परिभाषित करते हुए अपनी कुछ कविता सुनाई, इसी अवसर पर डॉ अंजना मुवेल झाबुआ महाविद्यालय हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ अंजना ने कृति की जीवंतता से परिचय कराते हुए, आज के समय उसके महत्व को सामने रखते हुए कहां कि मन और आत्मा से निकल कर सामने आई ये सजीव और जीवंत कविता है इनकी सहजता सरलता ही इनकी अद्भुत पहचान लिए आज सम्पूर्ण विश्व पटल पर छाई है
इसी अवसर पर भीलवाड़ा राजस्थान से आई मनीषा चतुवेर्दी ने बताया कि ये कविता सुन कर पड़ कर सचमुच में बहुत ही भाव विभोर हो गई आज के समय इतनी निष्ठा से समर्पित रूह प्रेम रूप कहां नसीब होता है कविता सभी चित्र इस सार्थक प्रेरणा देती सोच चिंतन का सजीव चित्र सामने रखती हैं आदरणीय चंचल जी सचमुच बधाई के हकदार हैं कि आज देश के हिंदी साहित्य में चर्चा का विषय बनी हुई है उनकी यह ताजा अद्भुत कृति
इसी अवसर पर उज्जैन से डॉ आशीष भट्ट ने भी इनकी सहजता और सुकून का अनुभव कराती हुई सम्पूर्ण भारत के साथ सकारात्मक सोच चिंतन लिए विश्व पटल पर छाई कविता की सचमुच बेहद सार्थक उपलब्धि है आदरणीय डॉ रामशंकर जी को साधुवाद देते हुए आगे भी और अपेक्षा की
अंत में आभार व्यक्त किया अकादमी प्रमुख भावेश त्रिवेदी ने

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