चरम तीर्थंकर प्रभु

श्री महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक पर स्वरचित स्तवन
त्रिभुवन नायक प्रभु तु वीर
मुझ उर बसों महावीर
तेरी महिमा गहन गंभीर
तू हरता है सबकी पीर
त्रिभुवन नायक प्रभु…..
तेरे गुण हैं अनंत अपार
तेरी कृपा का नहीं है पार
जो सुमिरे तुझको एक बार
हो जाए उसका भव पार
सद ज्ञान की ज्योत जलाकर
हरता सब मन के तिमीर
त्रिभुवन नायक प्रभु………
सत्य अहिंसा को दिखलाया
राग द्वेष को दूर भगाया
दया धर्म का मार्ग दिखाया
अनेकांत सिद्धांत समझाया
दर्शन जो तेरे पा जाए
खुल जाए उसकी तकदीर
त्रिभुवन नायक प्रभु…..
चहूं और था जब अज्ञान
तूने दिया धरम का ज्ञान
तुझसे पाये आत्म कल्याण
तेरी शरण ही पावन धाम
राजेंद्र जयंत की कृपा पाने को
” यश “रहता है सदा अधीर
त्रिभुवन नायक प्रभु तू वीर
मुझ उर बसों महावीर!!
यशवंत भंडारी “यश “