
आबरू❤️✨
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हम कितने ,आजाद हुऐ है,
हमको तुम बतलाओ न”””””
हर नारी मे ,धैर्य समाहित”
फिर ,ढूँढ रही क्यू मधुशाला”””
✨💐✨💐✨💐✨
तन पर चिथडे ,लिपटे है”
मन मे ,पीडा भरी हुई””””””
चदं नोटो की ,खातिर,
आज की अबला बिकी हुई””
✨💐✨💐✨💐✨
तार तार .मर्यादा बिखरी”
टूटे ,स्वप्न हुऐ बैरंग”””””
रीति रिवाज ,कुप्रथा निभाये”
रिश्ते ,हुऐ आज पैबंद”””””
❤️✨❤️✨❤️✨❤️
बेटी को ,कुर्बान करे क्यूँ”””
झूठे ,रीति रिवाजो मे””””
क्या ,तुम्हारा अंश नही ,
जो बेच दिया,बेगांनो मे””””
🌼✨🌼✨🌼✨🌼
चलो माना ,मुक्त हुऐ तुम”
आटे साटे,का सौदाकर”””””
पर कभी, सोचकर देखा,
बेटी ,हो सकती थी दिवाकर”””
🌼❤️🌼❤️🌼❤️🌼
तुम तन से, गरीब नही हो,
मन की ,गरीबी ढोते हो,,,
अपनी ही ,अबोध बच्ची को,
किश्तो मे ,क्यू ,ढोते हो””””””
🌼✨🌼✨🌼✨🌼
बचपन मे, सूखी रोटी खा,
पाषणता सी ,जीती है,
यौवन, की दहलीज पर आकर,
फिर मर्यादा ,ढोती है””””
🤍✨🤍✨🤍✨🤍
ऋतु ,सोलहवा बसंत के आते”
कितनी ,नजरे ताड गई””””
समझ ,उसे तो कुछ न आया,
पर मन को ,झंझोड गई “”””
🤍💐🤍💐🤍💐🤍💐
खुद ,का वजूद छिपाकर रखती”
उस दानव की ,नजरो से””””
मौका मिलते ,मिलते निगल गया”
उस बच्ची की ,अस्मिता को””””
💐✨💐🌼💐✨💐🌼✨
पोर पोर, वेदना भरा है”
कोई पीडा ,क्या समझे””
मर मर कर ,जीती वो बच्ची”
उसकी ,निर्धनता क्या समझे”””
💐❤️✨💐❤️✨💐❤️✨
इतना ,बस मौका मिलते ही,
सौदे बाजी, कर देते”
बिन ,इज्जत के उस टुकडे को”””
बेइज्जत ,फिर कर देते”””””
✨❤️✨❤️💐✨❤️
रीमा महेन्द्र ठाकुर स्वारचित
Reporter ❤️🌼
❤️💐 Rinku runwal 🙏🌼-9425970791
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