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संवेदना की भरी सभा में कोई नहीं है संवेदनशील
मर्यादा के बिछोने पर हर कोई है मर्यादा हीन
आसमान की बातें छोड़ो
अब तो खिसक रही है जमीन जिन पर टिकी थी थोड़ी आस वो
❣️❤️❣️❤️💐❤️💐❤️💐🌼💐💐🌼💐🌼ही तोड़ रहे यकीन
आसमान की बातें छोड़ो
अब तो खिसक रही है जमीन
गर्म हवा की क्या बात करें झुलसाजा रही हैशीतल समीर
तोड़ने आये थे बंधन वे ही
💐💕💐💕💐💕💐💕 बांध रहे जंजीर
सपेरे अब नाच रहे हैं सांप बजा रहे हैं बीन
आसमान की बातें छोड़ो
अब तो खिसक रही है जमीन💐🙏💐🙏💐🙏💐
पवित्रता के नाते बदले
चारों ओर है वासना का वास
टूट रहे है वे रिश्ते सारे
जिनपरटिकीथी थोड़ीसीआस अप
🌼🌼🌼🌼🌼🌼ने ही करें फरेब
तो किस पर करें अब यकीन
आसमान की बातें छोड़ो,
अब तो खिसक रही हे जमीन
गरल से भर गए प्याले सारे जिनमें भरनी थी मिठास
सूख गई सारी सरितायें💐🌼💐🌼💐🌼💐🌼
बुझाती थी जो सब की प्यास
सुख के पथ वीरान हो गए राहें हो गई सब गमगीन आसमान की बातें छोड़ो,
अब तो खिसक रही है जर्मीन🙏🙏💐💐🌼🌼❤️❤️
मिल रहा दुत्कार उनको जो थे सम्मान के हकदार
पी रहे हैं विष के प्याले
जिनको थी अमृत की दरकार
इज्जत जिनको मिलना थी उनकी हो रही है तोहिन
आसमान की बातें छोड़ो,
अब तो खिसक रही है जमीन
यशवंत भंडारी “यश “
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Reporter 🙏🌼
🌼🙏 Rinku runwal 🙏💐-9425970791
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