*झाबुआ का साहित्य साधक, शिक्षक सालों से, कविता सुनाता विश्व पटल हिन्दी भाषा की, अद्भुत सेवा में लगा*

झाबुआ, मध्य प्रदेश का अद्भुत अविरल, बेहद चर्चित, साहित्य साधक डॉ रामशंकर चंचल, जो पूरे भारत को, विश्व के कविता प्रेमी को उम्र के ६७ साल में भी अपनी कविता सुना कर, लाखों दिलों पर आज राज करता है,
सतत् सालों से लगा हुआ, कविता जिसके रग रग में बसी, रची और मुस्काती है उसने पिछड़े इलाके झाबुआ का अद्भुत इतिहास रचा है कि आज सम्पूर्ण विश्व पटल पर यह महान शिक्षक, साहित्य मसीहा कविता सुनाता हुआ, हिन्दी भाषा की अद्भुत अविरल सेवा में लगा हुआ है
वन्दनीय है डॉ चंचल की साधना, तप और निष्ठा, जिसने अपने शिक्षक धर्म के साथ साथ, सम्पूर्ण विश्व में, हिन्दी कविता के माध्यन से आज सम्पूर्ण विश्व पर झाबुआ की पहचान बनाने
के साथ साथ सम्पूर्ण विश्व में देश का गोरव भी बढ़ाया है
शिक्षक दिवस पर उनके अद्भुत योगदान को याद कर गर्व महसूस होता है
मध्य प्रदेश के, आदिवासी पिछड़े इलाके का