झाबुआ

❤️🌼❤️🌼❤️🌼❤️🌼❤️तपोभूमि प्रयागराज “ महाकुंभ महायोग”❤️🌼❤️🌼❤️🌼❤️

आलेख
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महाकुंभ का बंसत पंचमी के अवसर पर महासंयोग स्नान की तैयारी जोरों शोरों से चल रही है .पर अमावस्या पर हुई भगदड़ से क्या सीख लेना चाहिए या वापस वही स्थिति बनानी चाहिए .भीड़ का ताँता बढ़ता जा रहा है उसी तरह से प्रशासन की व्यवस्थाएं भी बढ़ रही हैं .परंतु क्या दुबारा वो स्थिति नहीं आएगी .श्रद्धालु शायद ये बात नहीं समझ पा रहे श्रद्धा में अंधे होना कहाँ की समझदारी है!
माँ गंगा हमेशा से पावन है. और हमेशा रहेगी धर्म की मानें तो कलयुग चल रहा है.❤️🌼❤️🌼❤️🌼🌼❤️🌼❤️🌼
पुराणों के अनुसार अमृत की कुछ बूँद संगम में गिरी थी. पर भगदड़ में जो स्थिति बनी .वो देव नहीं बल्कि अनंतकाल पूर्व घटी घटना का उदाहरण दे गयी. आज गंगा नदी के तट पर जो कुछ हो रहा है वो उसी समय क़ालीन की तरह ही घटित हो रहा है आज भी अमृत की चाह में मनुष्य दानव की तरह हरकतें कर रहे है ।🌼💐🌼💐🌼💐🌼💐🌼💐🌼
प्रशासन दिन रात अपनी सेवाएँ दे रहा है फिर भी कुछ ऐसा तो हो रहा है जो लोगों को भ्रमित कर रहा हैं।
माँ गंगा ब्रह्माजी के कमंडल से धरती पर आयी तो भागीरथ के पूर्वजों को पाप से मुक्त करते हुए सागर में समा गयी.
पर वो भारत की तपोभूमि में आज भी अविरल बह रही हैं .और हमेशा से चलता रहा है कि श्रद्धालु माँ गंगा में डुबकी लगा पापों से मुक्त हो जाते हैं .फिर अब कौन सी मुक्ति की चाह है.जीवन रहा तो .वेद पुराणों में मोक्ष के बहुत से उपाय हैं.माना महाकुंभ में स्नान सौभाग्य पूर्ण है.परन्तु मनुष्यता अपनाते हुए.यदि आप एक श्रद्धालु हैं तो बुजुर्ग और बच्चों को धैर्य से आगे बढ़ायें. पंक्तिबद्ध होकर आगे बढ़ें.कोशिश यही होनी चाहिए .की आप लम्बी दूरी तय कर पहुँचे है.तो आपका समय समर्पण व्यर्थ न जाएँ .
कहते हैं.संगम नदी तीन नदियों का महामिलन.है.सत्यता वहाँ पहुँचने के बाद ही दिखाई देती है.धवल सी माँ गंगा.का जल मटमैला सा नज़र आता है.तो संगम के बीचोंबीच माँ जमुना का जल हल्का नीलमायी लिए नज़र आता है.वैसे प्रति वर्ष यह सौभाग्य रहता है कि माँ गंगा के आशीर्वाद से मुझे उनके गोद में स्नान करने का सौभाग्य मिलता रहा है.इसे मेरी ख़ुशक़िस्मती ही समझिए..हा तो बात हो रही थी संगम की..जहाँ माँ जमुना .गंगा माँ में विलीन होती दिखाई देती हैं.वहीं माँ सरस्वती कब और कहाँ लुप्त हो जाती है .समझ में नहीं आता.वैसे वही कुछ .साधु संतों के मुखारबिंद से सुना है की .माँ सरस्वती ज्ञान की देवी है .तो मनुष्यों के अंतर मन में सूक्ष्म रूप से मंत्रोच्चारण द्वारा समा जाती हैं ।वैसे इस बात की कहीं पुष्टि नहीं है .💞❤️💞❤️💞❤️💞❤️💞❤️
फिर भी तर्क इतने है.की विश्वास न करने की गुंजाइश ही नहीं होती है।
अक्सर संसार में कुछ चीज़ें .सूक्ष्म रूप में है.जो दिखाई नहीं देती.फिर भी है.।समय समय पर सत्यता की पुष्टि भी होती रही है!💝🤍💝🤍💝🤍💝🤍💝🤍💝🤍💝🤍
लखनऊ से प्रतापगढ़ होते हुए.काफ़ी लम्बे सफ़र के बाद.फाफामऊ पहुँचते ही कुछ पाजेटिव अनुभूति होने लगी भीड़ और गड़ियों की क़तारें देखकर भी .उत्साह घटने के बजाय बढ गया
वैसे विकल्प बहुत से हैं .यहाँ तक पहुँचने के लिए.एक परिचित मिल गये.जिनके मार्गदर्शन से हम फाफामऊ से उन्हीं के साथ मेला क्षेत्र तक पहुँचे.आगे वाहन निषेध था ।
इस समय लाभ मिला मिडिया से जुड़े होने का फिर भी सौभाग्य मानते हुए .आठ किलोमीटर पैदल चलकर घाट पर पहुँचे.गोधूली वेला का समय पूरा संगम रोशनी से जगमगा रहा था.।🤩💝🤩🤍🤩🤍🤩💝🤩💝🤩💝🤩🤍
पावन जल में आचमन करते ही .मन पुलकित हो उठा ऐसा लगा जैसे .सारी थकान मिट गयी!
काफ़ी समय जल में खड़े होने की अनुभूति.इतनी सुखद थी.की लगा उसके लिए.माँ सरस्वती .मुझमें ही विलीन हो गयी.
इसी सुखद अनुभूति.और पावन मन के साथ हमने कितनी दूरी पदयात्रा की कुछ याद नहीं हमलोग रात्रि 2 बजे पुनः अपने वाहन पर सवार होकर घर की ओर प्रस्थान कर गये .
अपने मन मस्तिष्क मैं पावन गंगा माँ की पावनता लेकर ।
हर हर गंगे “💝🤩💝🤩💝🤩💝🤩💝🤩💝🤩
रीमा महेन्द्र ठाकुर.वरिष्ठ लेखक
(साहित्य संपादक)

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