झाबुआ

नवकार मंत्र पंच परमेष्टि तक पहुँचने में सेतु का कार्य  करता है “ आचार्यश्री

नवकार महामंत्र कई रहस्यों से भरा हुआ हे और इस मंत्र के रहस्य को जानना हे तो “नवकार मय “बनना होगा इसके लिये एकाग्र मन से नवकार की साधना करना होगी |नवकार के बाहर कुछ नहीहेआवश्यकता हे नवकार के भीतर प्रवेश करने की | इस मंत्र की शुरुवात ही “नमो “से होती हे यह “नमो “हमे पंच परमेषटी तक पहुँचने मे सेतु का कार्य करेगा ।उपरोक्त प्रेरक उद्बोधन पूज्य आचार्यश्री दिव्यानंद सूरिश्वरजी मसा ने आज झाबुआ में श्री ऋषभदेव बावन जिनालय के प्रवचन कक्ष में धर्मसभा में नवकार मंत्र आराधना प्रारंभ के अवसर पर रविवार को कहे ।उन्होने कहाँ की मंत्र का प्रारंभ “नमो “से होता है जो हमे अहंकार नही करने का संदेश देता हे | आपने कहाँ की “नवकार आराधक”तभी सच्चा नवकार का साधक हो सकता जब वो इन सभी नवकार के पदों का आशय समझे | आपने कहाँ की सच्चा नवकार के आराधक वही हे जो पंच परमेश्टि की शरण मे होकर किसी भी जीव के लिये अरुचि , तिरस्कार , iदुर्भावना नही रखे सदभाव ही रखे | | आपने कहाँ की मन को यदि “नवकार “से जोड़ दे तो इंद्रियों पर नियंत्रण हो सकता हे | हमे नवकार तो मिला हे लेकिन नवकार मे जो समाया हे वह नही मिला हे | “नवकार मंत्र “के 68 अक्षर 68 तीर्थ स्वरूप होते हे इसलिए नवकार का एक एक अक्षर श्रद्धा के साथ उच्चारण कर एकाग्रता से एक ही लक्ष्य के साथ जाप करना चाहिए ।आपने कहाँ कि प्रभु कि जिनवाणी भी अपने आप में “नवकार “हे। @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ आराधना सयोजक निखिल भंडारी ने बताया कि प्रवचन के पूर्व पूज्य आचार्यश्री दिव्यानंदसूरिश्वरजी मसा ने नवकार मंत्र सुबह आराधना मंडप में कलश स्थापना ,दीप प्रज्वलन ,नवकार मंत्र की तस्वीर , पूज्य गुरुदेव श्रीमद् विजय राजेंद्रसूरिश्वरजी मसा और पुण्य सम्राट श्रीमद् विजय जयंतसेन सूरिश्वरजी मसा की प्रतिमा स्थापना सविधि संपन्न करवाई ।कलश स्थापना
और दीप प्रज्वलन लाभार्थी यशवंत भंडारी परिवार ने किया । नवकार मंत्र की तस्वीर और गुरुदेव राजेंद्रसूरिश्वरजी की प्रतिमा स्थापना लाभ श्रीमती लीलाबाई एस भंडारी और पुण्य सम्राट प्रतिमा स्थापना लाभार्थी डा प्रदीप रखबचंद संघवी परिवार थे । पूज्य आचार्यश्री ने सामूहिक चेत्यवंदन से आराधना प्रारंभ करवाई ।संपूर्ण 9 दिवस एकाशन तप करवाने का लाभार्थी यशवंत भंडारी परिवार ने लिया ।समाप्त)

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