
@- प्रभु महावीर का जन्म कल्याणक वाचन आचार्यश्री की निश्रा में आज बुधवार को हुआ @ बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित रहे @ जन्म कल्याणक वाचन के पश्चात प्रभुजी की रथ यात्रा निकली @आचार्यश्री सहित साधु साध्वी और बाहर से ८ दिन हेतु आकर पर्युषण पर्व हेतु आए पोषधधारी (साधु जीवन )भी निश्रा प्रदान कर रहे थे ।
झाबुआ –स्थानीय श्री ऋषभदेव बावन जीनालय मे चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य आचार्य श्रीमद विजय दिव्यानंद सुरीश्वरजी म सा आदि ठाना -७ एवं पूज्य साध्वी कुशलप्रभा श्रीजी आदि ठाना -१२ की पावन नीश्रा मे “कल्पसूत्र वाचन “के साथ उत्साह पूर्वक महावीर जन्म कल्याणक वाचन आज बुधवार को दोपहर में हुआ ।| श्री संघ अध्यक्ष मनोहर भंडारी और चातुर्मास समिति अध्यक्ष संजय मेहता ने बताया कि दोपहर मे बुधवार को प्रभु श्री महावीर के जन्म कल्याणक वाचन व प्रभुजी का पालना झूलाने का महोत्सव मनाया गया | इसके पूर्व आज सुबह से ही जीनालय मे प्रभु पूजा के लिये भक्तो का आना जाना सतत रुप से चलता रहा | प्रभु महावीर की विशेष अंग रचना की गयी | दोपहर मे महोत्सव मे 14 स्वप्नों को प्रतीकात्मक रुप मे चढ़ावा बोला गया और पालनाजी को झूलाने का भी चढ़ावा बोला गया | इसके पश्चात पूज्य आचार्यश्रीमद विजय दिव्यानंद सुरीश्वरजी म सा महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव के लिये कल्पसूत्र का वाचन करते हुए “कहाँ की वेसे तो कल्पसूत्र मे 24 तीर्थंकरो का जीवन चारित्र उत्तम ढ़ंग से वर्णित हे | चूँकि वर्तमान मे जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर प्रभु महावीर का शासन चल रहा हे इसलिये प्रभु महावीर स्वामी का जन्म कल्याण वाचन कर समारोह पूर्वक प्रभु महावीर की जय जय कार की जाती हे | आपने कहाँ की 14 स्वप्न तीर्थंकर प्रभु महावीर की माता त्रिशला ने उनके गर्भ मे आने पर १४ स्वप्न गज ,व्रषभ ,सिंह ,लक्ष्मीदेवी ,फ़ूलॊ की माला , चन्द्रमा , सूर्य ध्वजा , कलश , पदम सरोवर , खीर समुद्र , देव विमान , रत्न , अग्नि की शिखा आदि 14स्वप्न देखे थे | आचार्य श्री ने कहाँ की ये 14 स्वप्न हमारे जीवन के कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त करते हे और प्रेरणा देते हे कि यह मानव जीवन अमूल्य है इसे व्यर्थ में न जाने दे ।| इसके बाद जेसे ही प्रभु महावीर के जन्म की घोषणा वाचन करते हुए आचार्य श्री ने की उपस्थित श्रध्दालूओ मे हर्ष छा गया | अक्षत से स्वागत करते हुए थाली और घंटनाद किया गया |इसके पश्चात ‘जय जय महावीर ‘और जियो और जीने दो “की उदघोषणा करते हुए एक दूसरे का अभिवादन और श्रीफल वधार कर एक दूसरे को बधाई दी और केसरिया छापे लगाये गये | लाभार्थी परिवार ने प्रभुजी का पालना झुलाया इसके बाद लाभार्थीयौ द्वारा इन स्वप्नोंजी को लेकर जीनालय मे तीन प्रदक्षिणा दी गयी| इसके बाद प्रभुजी को रथ मे लेकर भव्य वर घोड़ा पूज्य आचार्य श्री , साधु साध्वी मंडल और 250 पोषधधारी की नीश्रा मे शहर के रुनवाल बाजार ,चंद्रशेखर आजाद मार्ग , राज़ वाडा ,लक्ष्मीबाई मार्ग होते हुए वरघोड़ा पुन श्री ऋषभदेव बावन जिनालय पहुँचा जगह जगह अक्षत श्री फल से गहुली की गई | | वरघोड़ा के समय समाजजनो मे अभूतपूर्व उत्साह देखा गया | समस्त समाजजन श्वेत पोशाक मे थे और महिलाएँ रंगीन पोशाक मे कतारबद होकर प्रतीक स्वरूप सपनाजी लेकर चल रही थी | समाज के नवयुवक सम्पूर्ण वरघोड़े मे आकर्षक ढोल और तासे बजा कर प्रभुजी की रथ की आगवानी कर प्रभु महावीर का मूल सिदाँत “जीयौ और जीने दो ” जैन धर्म बड़े जाओ “का उदघोष कर रहे थे | जिनालय मे प्रभुजी की आकर्षक अंगरचना कर आरती उतारी गयी | | प्रतिवर्ष अनुसार श्रीमती श्यामूबेन रतनलाल र्रूनवाल परिवार की और से प्रभावना वितरित की गयी /सम्पूर्ण सफल व्यवस्था श्री संघ पदाधिकारी , सदस्य और चातुर्मास समिति पदाधिकारीयो और सदस्यों ने की जिसकी सर्वत्र प्रशंसा की गई ।आभार सचिव जयेश संघवी ने माना ।समाप्त ॥
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