कोटि कोटि नमनआज कम कम उम्र के पुण्यशाली गिरनार की यात्रा रोप वे ( इलेक्ट्रिक झूले) से करते हे और बहाना बनाते हे कि हमसे चलाता नहीं हे श्री शत्रुंजय तीर्थ की यात्रा के लिए छोटी उम्र में डोली का सहारा लेते हे जिस पावन भूमि के कण कण से आत्माएं सिद्ध हुई उस पावन भूमि पर चप्पल जूते पहनकर यात्रा करते हे गिरी पर खाते पीते हे एसे समय यह पुण्यशाली मा जी जिनकी कमर झुक गई हे 82 साल की उम्र हे हाथ में लकड़ी हे फिर अनंत उपकारी प्रभु के विश्वास को अपना आत्म विश्वास बनाकर प्रतिदिन 20 तीर्थंकर प्रभु की पावन निर्वाण भूमि श्री सम्मेद शिखर जी की 27 किलोमीटर की यात्रा प्रतिदिन करती हे और लगातार 61 दिनों से कर रही हे तब हमे अपने आप पे शर्म आती हे क्या हमारी यात्रा वाकई में तीर्थ यात्रा हे या सिर्फ पिकनिक हे या फिर हमे अपने प्रभु पर आस्था ही नहीं की वही हमारी यात्रा भी पार लगायेगा और भव पार भी लगायेगा