झाबुआ को साहित्य में विश्व शिखर पर ले जाने वाला कालजयी, डॉ रामशंकर चन्चल
मध्य प्रदेश के, आदिवासी पिछड़े अञ्चल में जन्म हुआ, डॉ रामशंकर चंचल, आज एक ऐसा नाम है जो झाबुआ का पर्याय कह सकते है
कोई दो मत नही है कि, आज डॉ रामशंकर चंचल सम्पूर्ण विश्व में अपनी साहित्य पताका से झाबुआ जिले के लिए बेहद गर्व का विषय बना हुआ है
एक ऐसा अद्भुत अविरल चर्चित नाम जो सदियों नहीं भुला जायेगा और सदा ही बहुत ही आदर के साथ, सम्मान के साथ याद किया जायेगा
आज उनके सेकडों लोग जलने वाले है तो कोई बड़ी बात नहीं, उनके लाखों चाहने वाले है जिन मै सबसे बड़ी संख्या में आज का युवा वर्ग है जो उनको बेहद पंसद करता है और उनका सम्मान करते हुए उनका अनुसरण करने के साथ बहुत कुछ सिख गर्व महसूस करता है
डॉ चंचल के बताये अनुसार, प्रतिदिन उन से कोई न कोई युवा पीढ़ी के छात्र और छात्रा उन से मिलने के लिए उन्हें खोजते हुए आ जाते है जहाँ डॉ चंचल प्रतिदिन धुमने जाते है और फिर उन से बात कर उन्हें अद्भुत ऊर्जा मिलती हैं
एक कमाल की अद्भुत सकारात्मक ऊर्जा और सोच और आत्म विश्वास का दूसरा नाम डॉ रामशंकर चंचल है अक्सर लोग उनके पास बैठे कर ही अद्भुत ऊर्जा महसूस करते हुए दिखाई देते है यहाँ तक की अनेक ऐसे युवा पीढ़ी के चाहने वाले अद्भुत लोग हैं जो उनका स्मरण कर अद्भुत लेखन कर जाते हुए गर्व महसूस करते हैं और डॉ चंचल को बताते है कि आदरणीय हमने केवल आपको याद किया और कलम कागजों पर दोडने लगी पता नही कब कैसे यह सुखद रचना बन गई, डॉ चंचल, इस बात पर खामोश रहते हुए केवल इतना कहते है कि यह आपकी मेरे प्रति सम्मान आस्था और आत्मा विश्वास है जो देख ईश्वर आपको साथ देता है, मैं कुछ हूँ ही नहीं, मैं कुछ होता ही नहीं यह परम सत्य जिसने जान लिया और न कभी कल होता, ये दो ऐसी सार्थक बात और सत्य बात है जिसने समझ ली उस ने जीवन को सार्थक कर दिया
अद्भुत अद्भुत सोच के चिंतन के धनी डॉ चंचल पर आज देश को भी गर्व है तो कोई बड़ी बात नहीं है
पचास सालो की साधना कोई छोटी बात नहीं है जितना लिखा जाय कम होगा जितना कहाँ जाय कम होगा
धन्य हैं वो जो उनसे जुड़े हुए है धन्य हैं झाबुआ की पावन भूमि जिस पर डॉ चंचल गर्व महसूस करते हुए सदा ही कहते है कि यह वह देव भूमि है जहाँ कितने ही महाकाय, रखे हुए हैं जितना लिखा जाय कम होगा अद्भुत अविरल पावन भूमि को प्रणाम करता हूँ जो कुछ हूँ इस देवत्व भूमि का मुझे नाचीज को उपहार है जो घर बैठे हुए आज सब कुछ मिला है मिल रहा है यह केवल इस अद्भुत शक्ति लिए पावन भूमि का ही कमाल है और इसे प्रणाम करते हुए गर्व महसूस होता है ईश्वर ने मुझे यहाँ जन्म दिया है
