लघु कथा
✍️मुझे पता है मेरी मौत✍️
✍️मुझे पता है, में क्यों जिंदा हूं , यह भी पता है कब तक जिन्दा हूं, इसलिए कभी भी मौत की चिंता नहीं करता हूं, तुम हां तुम जब तक मुझे भुला नहीं देती हो, में नहीं मर सकता हूं यह तय हो चुका है हमारी मौत से वादा , बड़ी अजीब बात लगती हैं सुन कर, पढ़कर, पर अद्भुत सत्य है अक्सर रूह से प्रेम करने वाले सब कुछ जानते है यह अद्भुत उपहार हैं ईश्वर का लगता है जिनका कोई नहीं है और उन्हें जिंदा भी रखना है किसी और के या कितनों को कुछ सुख और सुकून देने के लिए तो शायद यही वह ईश्वर रूप है जो वह किसी रूह से प्रेम वह भी अद्भुत रूप से प्रेम करा देता है यह रूह ही ईश्वर रूप है जिसे सब कुछ पता होता है✍️
जो हर दिन उसका ख्याल रखती हुई जिन्दा रखती है बल्कि देखता हूं या मुझे खुद अहसास है कि जिन्दा रहने की कोई भी इच्छा नहीं होने के बादजूद में जिंदा हूं न केवल जिंदा हूं बल्कि बहुत बहुत कुछ कर गुजरने का हौसला लिए हर दिन को पूरी निष्ठा से समर्पित कर ऊर्जा समेटे कर्मशील रह कर बहुत ही कुछ कर जाता हूं जानता हूं जो भी कर रहा हूं वह सचमुच मानवता के लिए सभी के लिए सचमुच सार्थक प्रेरणा देता हुआ है परम् सत्य है क्योंकि की सदा ही कुछ भी लिखने के बाद लगता है कब क्यों लिखा है यह सोच चिंतन कैसे आई इतना समय कहां मिल जाता है कितने ही घर के परिवार के रोज रोज़ किरदार निभाते के बावजूद खुद सोच चिंतन कर अक्सर परेशान रहता हूं कौन है क्यों है जो मुझे लगा रखा है न चाहते हुए भी बहुत कुछ लिखने के लिए बहुत कुछ किरदार निभा के लिए जबकि मुझे कभी भी ऐसा नहीं लगता है कि आज कोई खुशी महसूस की बल्कि यह रहता है आज का दिन निकला हां यह भी पता है कि बहुत बहुत कुछ दे दिया है आनेवाले कल परसो को आज भी दिन को सार्थक करते हुए बेहद थकान महसूस करते हुए सो जाता हूं कल सुबह होगी नहीं जानता हूं वैसे भी सालों से सदा ही आज में जीता हूँ कल होगा कोई चाह नहीं रही कभी नहीं जानता क्यों हां क्यों ऐसा बना दिया मुझे उस ईश्वर ने कौन है यह ईश्वर यह भी नहीं जानता हूं पर है अवश्य ही जो मुझे जिंदा रखे हैं दुनिया को जिंदा रखे हैं खैर कितना अद्भुत रूप होगा कितना अद्भुत बेहद अच्छा इंसान होगा वह देवत्व रूप जो सारी दुनिया को जिंदा रखे हुएं है कब क्या करना केवल वह जानता है प्रणाम उस ईश्वर रूप को जिसने मुझे भी बताया या पूर्ण रूप से प्रतिदिन यह अद्भुत अहसास करता है कि जब तक रूह✍️
प्रेम हैं जिन्दा हूं जिस दिन यह अद्भुत रूह भूल जाएगी या तुम इस सार्थक प्रेरणा देती सोच चिंतन की देवत्व रूह को भूल जाओगे उस दिन समझना तुम्हारा अंतिम दिन है
बहुत ही अजीब रिश्ते में बांध रखा है उसने मुझे उस ईश्वर रूप के रूह से जिसे कैसे भूल सकता हूं जिसने मुझे
मरते हुए बचा कर जान डाली और सुकून महसूस करते हुए सदा ही साथ सकारात्मक सोच चिंतन के देते हुए मुझे सक्रिय रूप से प्रतिदिन जिंदा रखे हैं दुनिया में ऐसा भी होता है पहली बार उम्र के इस मुकाम पर आ बहुत कुछ करने के बाद या सालों की अद्भुत साधना तपस्या के बाद यह अद्भुत रूह प्रेम से परिचय हुआ जो रोज़ रोज़ मेरे साथ होती हैं और मुझे बहुत कुछ करने के लिए प्रेरणा देती हैं प्रणाम सत् सत् प्रणाम करता हूं रूह के पवन , पवित्र रूप को
डॉ रामशंकर चंचल
झाबुआ मध्यप्रदेश
