झाबुआ

❣️🌹❣️🌹❣️🌹❣️🌹❣️🌹लघु कथा
हमारा रिश्ता मर नही सकता❣️🌹❣️🌹❣️🌹❣️🌹

लघु कथा🤍❤️
हमारा रिश्ता मर नही सकता
पत्नी की मौत के बाद रिश्ते निभाने के लिए ऐसा नहीं किसी ने दस्तक नहीं दी, आएं कुछ और कुछ दूर साथ चले भी पर सभी की चाह थी🤍❤️
चाह, भी ऐसी जो संभव नहीं थी
में फकीर वो हूं जिसका अपनी ही पत्नी से सालों से दोस्ती थी जिस्म की , रूप की भूख तो सालों पहले करीब उम्र के 45 में पूर्ण रूप से त्याग दी थी इस तरह की ऊपर वाला भी चाहे तो संभव नहीं🤍❤️
पर रिश्ते निभाने वाले आए लोग नहीं समझ पाए उन्हें मजाक लगा जब पूरी तरह देखा की यहां कुछ संभव नहीं सभी गायब हो गए दूर दूर तक नजर नहीं आते हैं🤍❤️
लेकिन तुम एक मात्र वो हो जिससे मिलने बस वैसे ही जा रहा था बहुत समय बाद अपने ही शहर में पैदल चलते हुए नज़र तुम कभी यहां रहती थी सोचा देखूं है भी या नहीं यह मन भी इसलिए बना था कि एक दिन पत्नी की मौत के कुछ दिन ही हुए थे🤍❤️
तुम्हारा फोन आया वैसे फोन कभी नहीं उठता मुझे तो यह भी पता नहीं तुम्हारा है बस गलती से हाथ बंद करने की बजाय सुनने वाले बटन पर चला गया उस समय ऐसा दो बार हुआ एक बार मेरे प्रकाशक का आया था फेस बुक से जुड़े थे बहुत बहुत ही प्यार दिया उन्होंने मुझे मेरी करीब पंद्रह किताब बिना एक रुपया लिए प्रकाशन की यह कोई मामूली बात नहीं थी अद्भुत कृपा थी उनकी उस ईश्वर की खैर उन से बात की बेहद दुःखी मन लिए थे वो पत्नी को जानते थे एक बार वो अपनी पत्नी के साथ झाबुआ आए थे इलाहाबाद से जो कभी भी आग्रह पर नहीं गए पर पता नहीं ईश्वर कृपा थी उनकी इच्छा बन गई मेरे आग्रह पर आए दो दिन रहे आज तक न वो भूल पाए न में उनके शब्द याद आते है, चंचल जी में शैलेश मटियानी जी के यहां नहीं गया उनके आग्रह पर पर आपका स्नेह प्यार आग्रह सचमुच मुझे यहां खींचा ले आया जबकि वो भी आपकी तरह बेहद सहज सरल व्यतित्व के धनी इंसान है जब उनके मुंह से यह सुना की वह भी आपकी तरह सहज सरल व्यतित्व के धनी इंसान थे सचमुच मैंने उस ईश्वर को प्रणाम किया जिसने उम्र के चालीस साल में मेरे परम आर्दश गुरु महान कथाकार शैलेश मटियानी जी से तुलना की मेरी वह भी देश के इतने बड़े प्रकाशक ने🤍❤️

खैर बात तुम्हारी हमारी चल रही है पर उस सुखद अहसास को अद्भुत पल को कैसे भूल सकता हूं🤍❤️
तुम से मिला अच्छा लगा यह की पूरे समय हम ने मेरी पत्नी ऊषा की बात की जाते वक्त तुमने मुझे अपनी गाड़ी से छोड़ा घर तक तुम्हारा आग्रह था🤍❤️
जिसने पूरे समय मेरी पत्नी की याद करते हुएं मुझे सचमुच सुख सुकून दिया मना नहीं कर पाया🤍❤️
बस एक अच्छे मित्र की तरह यह रिश्ता अंत तक रहा इस बात को तुम से ज्यादा अच्छा कौन जन सकता है🤍❤️
रही बात छोड़ने की वह बात भी हम दोनों जानते थे कि एक दिन तुम अपने शहर चली जाओगी तब यह अद्भुत पावन पवित्र दोस्ती जो सचमुच वंदनीय है ईश्वर का अनुपम उपहार हैं याद आयेगा इस लिए जितनी जल्दी हो हम दोनों अलग हो जाते हैं और मेरी इस बात पर पूरी सहमती थी आखिर वह हुआ बात है तो शहर छोड़ जाने की यह तो ईश्वर जाने इतना आसान नहीं है उसके कार्य में उसकी चाह में दखल देना यह बात तुम्हें मैने कितनी ही बार कहीं है याद होगा ही🤍❤️
बस इतना ही हमारा रिश्ता ईश्वर का अनमोल उपहार हैं पूंजी हैं धरोहर हैं जीवंत रखता हुआ ऊर्जा प्रदान करता हुआ अजीब सुख सुकून महसूस करता हूं अहसास लिए सदा ही अमर है न तुम मार सकती न में🤍❤️🌹
न ही ईश्वर अब कुछ कर सकता है सिवा मौत के साथ खत्म होता अद्भुत सुखद अहसास करता पावन पवित्र रिश्ता जो केवल किस्मत से ईश्वर कृपा से नसीब होता हैं नसीब वालो को🤍❤️🌹

डॉ रामशंकर चंचल
झाबुआ मध्य प्रदेश

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